नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. मधु कोड़ा ने निचली अदालत द्वारा घोटाले में उनको दोषी ठहराए जाने के फैसले और सजा पर फिलहाल रोक लगाने की मांग की थी, जिससे कि वह चुनाव लड़ सकें, लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की सजा को सिर्फ इस वजह से निलंबित नहीं की जा सकता, जिससे कि वह चुनाव लड़ सके. इसी आधार पर मधु कोड़ा की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी.
निचली अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत ठहराया था दोषी
मधु कोड़ा कोयला घोटाले में दोषी करार दिए गए थे. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उनको भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा के तहत 3 साल कैद की सजा सुनाई थी. क्योंकि मधु कोड़ा को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा के तहत सजा सुनाई गई थी, इस वजह से कानून के हिसाब से उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई थी. मधु कोड़ा ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाकर इसी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी, जिससे कि वह चुनाव लड़ सकें.
मधु कोड़ा पर लगा था पद का दुरुपयोग करने का आरोप
मधु कोड़ा को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कोयला घोटाले में भ्रष्टाचार करने का आरोप में साल 2017 में दोषी करार दिया था. मधु कोड़ा पर आरोप था कि उन्होंने एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार किया था. मधु कोड़ा पर अपने पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि किसी भी दोषी की सजा पर सिर्फ इस वजह से रोक नहीं लगाई जा सकती जिससे कि वह चुनाव लड़ सके. क्योंकि लगातार राजनीति में पारदर्शिता और अपराधीकरण को खत्म करने की बात होती है, ऐसे में यह जरूरी है कि जब तक कोई दोषी पूरी तरह से बरी नहीं हो जाता तब तक उसकी सजा पर सिर्फ इस वजह से रोक लगाना ठीक नहीं, जिससे कि वह चुनाव लड़ सके.
कौन हैं मधु कोड़ा
मधु कोड़ा ने सितंबर 2006 को झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उस दौरान वो किसी भी दल से जुड़े हुए नहीं थे. वैसे तो उस दौरान मधु कोड़ा ने भाजपा से टिकट लेने की भी कोशिश की थी, लेकिन जब वो टिकट नहीं मिला तो, उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. मधु कोड़ा अगस्त 2008 तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे. मधु कोड़ा ने साल 2009 में सांसद का चुनाव भी लड़ा, जिसमें उनको जीत हासिल हुई थी.