Delhi High Court Order: एक्सप्रेस-वे पर धीमी गति से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस को प्रतिबंध का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि लापरवाही से लोग हताहत हो सकते हैं औऱ इसके दुखद परिणाम हो सकते हैं.


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार (31 अक्टूबर) को जारी एक आदेश में कहा कि यातायात मानदंडों का पालन केवल कानून का मामला नहीं है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ वाहनों के निर्बाध प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए एक जरूरत है. दोपहिया, तिपहिया और ट्रैक्टर जैसे धीमी गति से चलने वाले वाहन एक्सप्रेसवे पर जोखिम बढ़ाते हैं.


आदेश में अदालत ने क्या कहा?


अदालत ने आदेश दिया, "प्रतिवादी नंबर 3 (पुलिस उपायुक्त, (यातायात), दक्षिण-पश्चिम) को मौजूदा प्रतिबंधों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है. एक्सप्रेसवे पर धीमी गति से चलने वाले वाहनों की आवाजाही से संबंधित, विशेष रूप से दिल्ली के एनसीटी की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर." साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि सड़क सुरक्षा सामूहिक प्रयासों की मांग करती है.


न्यायमूर्ति संजीव नरूला वाली पीठ ने कहा कि जब भी निर्धारित मानदंडों से विचलन देखा जाए तो अधिकारियों की ओर से नियमित निगरानी और त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा, “एक्प्रेस-वे आधुनिक ढांचागत उन्नति के चित्रपट में अभूतपूर्व गति से दूरियां पाटने के लिए डिज़ाइन किया गया. इन सड़कों की शुरुआत में यातायात की भीड़ को कम करने और परिवहन का तेज़, अधिक कुशल तरीका प्रदान करने के लिए तेज गति से चलने वाले वाहनों की कल्पना की गई थी.”


युवराज फ्रांसिस ने खटखटाया अदालत का दरवाजा


याचिकाकर्ता युवराज फ्रांसिस ने साल 2011 से दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर यात्रा के अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर अदालत का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कहा कि धीमी गति से चलने वाले वाहनों की मौजूदगी चिंताजनक है. इससे न केवल कई दुर्घटनाएं हुईं, बल्कि जान-माल की भी काफी क्षति हुई.


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