Mahua Moitra News: सुप्रीम कोर्ट में संसद से निष्कासित करने के आदेश पर रोक लगाने और फरवरी में सुनवाई करने की अपील को ठुकराए जाने के बाद अब टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से भी निराशा ही हाथ लगी है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकारी घर को खाली करने के लिए नोटिस के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोत्रा की याचिका को डिस्पोज करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में एस्टेट निदेशालय से संपर्क करना चाहिए.
दरअसल, महुआ मोइत्रा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें 7 जनवरी तक घर को खाली करने के लिए नोटिस को हटाने के लिए दिशा -निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उन्हें 7 जनवरी से आगे अपने सरकारी आवास को बनाए रखने के लिए इस संबंध में अनुमति देने वाले निकाय से संपर्क करना चाहिए. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह मोइत्रा को कानून के अनुसार ही बेदखल करने के लिए कदम उठाएं. अदालत ने मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की भी अनुमति दी है.
मोइत्रा ने आम चुनावों तक के लिए मांगा था समय
बता दें कि एस्टेट निदेशालय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाला ऐसा विभाग है जो आवास के अलाव केंद्र सरकार के सम्पदा का प्रशासन और प्रबंधन करता है. महुआ मोत्रा ने अदालत से 11 दिसंबर को एस्टेट्स के निदेशालय को समाप्त करने के लिए कहा था. उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि वह सरकारी निकाय को दिशा-निर्देश दे कि वह 2024 के आम चुनावों के परिणाम घोषित होने तक सदन को बनाए रखे.
कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय से मांगा था जवाब
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने महुआ की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर लोकसभा सचिवालय से जवाब मांगा है. अदालत ने मार्च के दूसरे हफ्ते में सुनवाई की बात कही है. हालांकि कोर्ट ने टीएमसी नेता की उस मांग को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने लोकसभा की कार्रवाई में हिस्सा लेने देने की अुमति मांगी थी. महुआ की सदस्यता जाने के बाद शीतकालीन सत्र के दौरान 150 के करीब विपक्षी सांसदों को भी निष्काषित किया गया था. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर काफी हंगामा भी किया था.
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