ब्लैक फंगस के मुद्दे पर दिल्ली HC में सुनवाई, कोर्ट ने कहा- ये मामला ऑक्सीजन की कमी जैसा नहीं, पूरे देश में ही दवा की किल्लत
दिल्ली हाई कोर्ट में ब्लैक फंगस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि स्टेरॉयड की ओवरडोज भी इसकी एक वजह मानी जा रही है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इम्युनिटी में कमी भी एक वजह बताई जा रही है.
नई दिल्ली: देश और दिल्ली में लगातार बढ़ते ब्लैक फंगस के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी दी गई कि फिलहाल देश में मौजूद ब्लैक फंगस की दवा मौजूदा जरूरत के हिसाब से काफी कम है. हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला ऑक्सीजन की कमी जैसा नहीं है, क्योंकि पूरे देश में ही इस दवा की काफी किल्लत है. लिहाज़ा किसी एक राज्य को उसकी मांग के मुताबिक दवा देने का आदेश नहीं दिया जा सकता. हालांकि केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि अगले महीने तक देश में दवा का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही विदेशों से भी दवा आयात की जा रही है. फिलहाल इस बीच देश के अलग-अलग राज्यों की ज़रूरतों को देखते हुए उपलब्ध दवा को मरीज़ों के संख्या और मांग के अनुपात में उस राज्य तक पहुंचाया जा रहा है.
दिल्ली हाई कोर्ट में ब्लैक फंगस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि स्टेरॉयड की ओवरडोज भी इसकी एक वजह मानी जा रही है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इम्युनिटी में कमी भी एक वजह बताई जा रही है. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि स्टेरॉयड की ओवरडोज़ की वजह से अस्पतालों में कई और तरह की बीमारी वाले मरीज भी आ रहे हैं, जिसमें स्टेरॉयड के चलते शुगर लेवल बढ़ने की शिकायतें भी आ रही हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि यह बीमारी एक दूसरे से फैलने वाली बीमारी में से नहीं है. क्या यह बीमारी ऑक्सीजन की वजह से फैली, इस पर अभी भी अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं.
इस बीच कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि फिलहाल सिर्फ ब्लैक फंगस का ही मामला नहीं, बल्कि अब तो वाइट फंगस के साथ ही यलो फंगस का मामला भी सामने आ गया है. कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्या यह स्टेरॉयड या ऑक्सीजन की वजह से फैल रहा है? केंद्र सरकार के वकील ने एम्स के निदेशक डॉक्टर गुलेरिया के बयान का हवाला देते हुए कहा कि डॉ गुलेरिया के मुताबिक यह स्टेरॉयड की ओवरडोज की वजह से हो रहा है. केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि अब तक देश के 18 राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं. जिन लोगों को ब्लैक फंगस हुआ है, उसमें से 55 फीसदी ऐसे थे जिनको कोरोना और डाबटीज़ ये दोनों बीमारियां रही हैं. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि क्या यह साफ ऑकसीजन ( impurity) की कमी की वजह से हो रहा है?
ब्लैक फंगस के 1 मरीज के इलाज के लिए हर रोज़ 6 वायल की जरूरत
दिल्ली हाई कोर्ट में ब्लैक फंगस की दवाइयों की उपलब्धता को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली में करीब 200 ब्लैक फंगस के मामले थे. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा की ब्लैक फंगस से पीड़ित एक मरीज के इलाज के लिए 6 वायल प्रतिदिन की जरूरत पड़ती है, लेकिन अगर कुल वायल की बात की जाए तो 90 वायल की जरूरत एक मरीज के इलाज में पड़ती है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम मरीज़ से ये नहीं कह सकते कि हमारे पास आपके लिए दवा नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार से सीमित दवा ही मिली थी.
केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हम देश भर के मरीजों की संख्या को देखते हुए ही इंजेक्शन का वितरण कर रहे हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वह ब्लैक फंगस को महामारी रोक अधिनियम के तहत नोटिफाई करें. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि ब्लैक फंगस के मामलों की निगरानी के लिए एक वेबसाइट बना दी गई है जिस पर किस राज्य में कितने मामले हैं और कितने लोग ठीक हो रहे हैं उससे जुड़ी हुई पूरी जानकारी उपलब्ध होगी.
इस दौरान केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल मई के महीने में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के 1,36,000 वायल उपलब्ध होंगे और जून महीने तक इनकी उपलब्धता बढ़कर 2,55,000 वायल तक पहुंच जाएगी, इसके अलावा 7,05,000 वायल इंपोर्ट कर उपलब्ध करवाने की भी योजना है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जिस हिसाब से गणना कर रही है क्या उसी हिसाब से उपलब्धता और मांग रहेगी. कोर्ट ने कहा मौजूदा स्थिति में मांग की तुलना में उपलब्धता महज़ 1/3 ही है. अगर इन सारे कदमों को भी देख ले तब भी कमी बनी रहेगी. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि ब्लैक फंगस कोरोना की तरह संक्रामक नहीं है और उस रफ्तार से नहीं फैलता जैसे कोरोना.
दिल्ली में 475 ब्लैक फंगस के मरीज
दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि आज की तारीख में दिल्ली में 475 ब्लैक फंगस के मरीज मौजूद हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि जो जानकारी दिल्ली सरकार यहां कोर्ट में दे रही है यह केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई वेबसाइट पर देना चाहिए, जिससे कि पूरे देश के हिसाब से आकलन किया जा सके. कोर्ट ने कहा कि यह मामला ऑक्सीजन सप्लाई से काफी अलग है क्योंकि यहां पर उस दवा की ही पहले से बहुत किल्लत है, ऐसे में कोर्ट भी सीधे तौर पर कोई आदेश नहीं दे सकती, क्योंकि अगर कमी है तो उस कमी के बीच में ही सब को उपलब्ध करवाना ही प्राथमिकता होनी चाहिए. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल हम को जितनी दवाई मिल रही है, वह मांग के हिसाब से 7 गुना काम है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जिस रफ्तार से मामले बढ़े हैं, उस हिसाब से अगले 1 महीने में दिल्ली में 1000 ब्लैक फंगस के मामले पहुंच सकते हैं.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार भी देखें की क्या केंद्र सरकार ने जो वेबसाइट तैयार की है, उस पर दिल्ली सरकार ने अपडेटेड जानकारी दी है या नहीं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सिपला कंपनी की तरफ से जानकारी दी गई कि दिल्ली सरकार ने फिलहाल ब्लैक फंगस की दवा को लेकर कोई और ऑर्डर नहीं दिया है, जिस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जितना उपलब्ध था हम उनसे सब ले चुके हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि रही बात निजी कंपनी द्वारा उत्पादन करने की तो राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर निजी कंपनियों से उत्पादन करने की बात कर सकती हैं. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान बताइए कि क्या और कंपनियों को ब्लैक फंगस की दवा बनाने के लिए लाइसेंस नहीं दिया जा सकता?
इस दौरान कोर्ट में इस बात पर भी चर्चा हुई कि अगर ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन को विदेश से मंगाया जाता है तो उसको लगने वाली ड्यूटी और टैक्स से छूट दी जाए. कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि इस पर अब तक क्या नियम हैं और सरकार की क्या योजना है.
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