दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हमला मामले में सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली पुलिस की ओर से 'बंदोबस्त' को लेकर दाखिल की गई स्टेट्स रिपोर्ट से नाखुश नजर आई. हाई कोर्ट ने कहा कि एक संवैधानिक पदाधिकारी के आवास पर हुई घटना बहुत ही परेशान करने वाली है. प्रदर्शनकारियों द्वारा तोड़े गए 3 बैरिकेड्स, आपको अपने कामकाज और बंदोबस्त पर गौर करने की जरूरत है, वहां कोई भी हो सकता था.
30 मार्च को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर हमले की खबर आई थी. आम आदमी पार्टी ने इसे लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. इसके बाद 1 अप्रैल को इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था. दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस से कहा था कि वह दो हफ्तों के भीतर अपना जवाब दाखिल करे.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि वह 2 हफ्ते के भीतर सील कवर में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि वह घटना के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखे.
अदालत ने ग्रेटर कैलाश से आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज की उस याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाकर मामले की जांच की मांग की गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जज जस्टिस नवीन चावला की डिविजन बेंच को जानकारी दी गई थी कि पुलिस ने इस मामले में स्वतः संज्ञान आधार पर प्राथमिकी दर्ज की और कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर आप-बीजेपी में मचा था घमासान वहीं बीजेपी नेताओं ने कहा था कि दिल्ली के सीएम ने कश्मीरी पंडितों का अपमान किया है. बीते दिनों दिल्ली विधानसभा के सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कश्मीरी पंडितों के साथ हुई हिंसा पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर टिप्पणी दी थी, जिस पर बीजेपी ने कहा था कि सीएम बिना शर्त माफी मांगें. आप नेताओं ने कहा था कि सीएम ने कुछ भी गलत नहीं कहा और वह बीजेपी के उस एजेंडे का पर्दाफाश कर रहे हैं जिसके तहत सत्ताधारी दल कश्मीरी पंडितों के सहारे राजनीति करना चाह रही है.
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