Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाईकोर्ट से मंगलवार (9 अप्रैल, 2024) को झटका लगा. कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इस दौरान कोर्ट ने कई अहम टिप्पणी की. 


जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये मामला केजरीवाल बनाम केंद्र नहीं है. उन्होंने कहा, ''राजनीतिक विचारों और समीकरणों को अदालत के समक्ष नहीं लाया जा सकता क्योंकि वे कानूनी कार्यवाही के लिए प्रासंगिक नहीं हैं. मौजूदा मामले में, यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि इस कोर्ट के समक्ष आया मामला केंद्र और याचिकाकर्ता केजरीवाल के बीच टकराव का मामला नहीं है. इसके बजाय यह केजरीवाल और ईडी के बीच का मामला है.''


कोर्ट ने साथ ही कहा कि गिरफ्तारी को लेकर कानूनी प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ और केजरीवाल के ईडी रिमांड को भी अवैध नहीं ठहराया जा सकता. जस्टिस स्वर्णकांता की ये टिप्पणी आम आदमी पार्टी के उन आरोपों के लिए झटका है, जिसमें पार्टी कहती है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना के तहत कार्रवाई की है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है. 


जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने क्या कहा?
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि ईडी के पास पर्याप्त सामग्री थी जिसके कारण अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई और अधीनस्थ अदालत ने एक उचित आदेश के जरिए उन्हें एजेंसी की हिरासत में भेज दिया.


उन्होंने कहा, ‘‘अदालत का मानना ​​है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है. रिमांड को अवैध नहीं ठहराया जा सकता. ’’


दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि AAP के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल के खिलाफ सरकारी गवाहों के बयानों पर मुकदमे के दौरान फैसला किया जाएगा क्योंकि वह इस स्तर पर लघु सुनवाई नहीं कर सकती. दरअसल, ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. 


ईडी ने क्या आरोप लगाया है? 
ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार हुआ है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने सीएम केजरीवाल को इसका मुख्य साजिशकर्ता करार देते हुए कहा कि इसमें कई AAP नेता और मंत्री शामिल रहे हैं. 


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