Delhi High Court: सौरभ कृपाल होंगे देश के पहले समलैंगिक जज, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
Gay Judge: कॉलेजियम ने न्यायिक अधिकारी बी एस भानुमति और अधिवक्ता के मनमाधा राव को आंध्र प्रदेश HC के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है.
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Gay Judge: प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सबसे बड़ी बात ये है कि वह देश के पहले समलैंगिक जज हो सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में कृपाल की प्रस्तावित नियुक्ति उनकी कथित यौन अभिरूचि के कारण विवाद का विषय थी.
कृपाल को 2017 में तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्व में दिल्ली उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी. इसके बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. हालांकि, केंद्र ने कृपाल की कथित यौन अभिरूचि का हवाला देते हुए उनकी सिफारिश के खिलाफ आपत्ति जताई थी. सिफारिश पर विवाद और केंद्र द्वारा कथित आपत्ति को लेकर पिछले चार वर्षों से कई अटकलें लगाई जा रही थीं.
इसके अलावा, कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रूप में चार वकीलों तारा वितास्ता गंजू, अनीश दयाल, अमित शर्मा और मिनी पुष्करणा की पदोन्नति के लिए अपनी पिछली सिफारिश को दोहराने का भी संकल्प लिया है. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए बयानों के अनुसार, कॉलेजियम ने 11 नवंबर की बैठक में पुनर्विचार कर अधिवक्ता सचिन सिंह राजपूत को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के लिए अपनी पूर्व की सिफारिश को दोहराने का संकल्प लिया है.
एक बयान में कहा गया है कि कॉलेजियम ने शोबा अन्नम्मा ईपन, संजीता कल्लूर अरक्कल और अरविंद कुमार बाबू को केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के लिए अपनी पिछली सिफारिश को दोहराने का भी संकल्प लिया. बयानों के अनुसार, कॉलेजियम ने न्यायिक अधिकारी बी एस भानुमति और अधिवक्ता के मनमाधा राव को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है.
प्रधान न्यायाधीश के अलावा, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित मामलों पर गौर करने वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा हैं.
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