सुनंदा पुष्कर केस: शशि थरूर के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने किया हाईकोर्ट का रुख
Delhi हाईकोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत से संबंधित मामले में नोटिस जारी किया है. पुष्कर जनवरी 2014 में दिल्ली के एक लग्जरी होटल के एक सुइट में मृत पाई गई थी.
Shashi Tharoor: दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में बरी किए जाने के निचली अदालत के 2021 के आदेश को चुनौती देते हुए गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस डी के शर्मा ने दिल्ली पुलिस के वकील से थरूर के वकील को याचिका की प्रति प्रदान करने के लिए कहा. थरूर के वकील ने दावा किया कि याचिका की प्रति उन्हें नहीं दी गई थी और यह "जानबूझकर" एक गलत ईमेल आईडी पर भेजी गई थी.
शशि थरूर को HC का नोटिस
निचली अदालत के 18 अगस्त, 2021 के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर करने में देरी को माफ करने की पुलिस की अर्जी पर भी हाई कोर्ट ने थरूर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि मामले से संबंधित प्रतियां और दस्तावेज पक्षकारों को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति को प्रदान नहीं किए जाएंगे. हाई कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए 7 फरवरी 2023 को सूचीबद्ध किया है.
पुनर्विचार याचिका पर जताई आपत्ति
गुरुवार को सुनवाई के दौरान थरूर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने पुनर्विचार याचिका दायर करने में "15 महीने" की देरी पर आपत्ति जताई, क्योंकि ट्रायल कोर्ट का आदेश अगस्त 2021 में पारित किया गया था. उन्होंने आगे कहा कि याचिका की एक प्रति उनको भी नहीं दी गई थी.
पाहवा ने सत्र न्यायाधीश के साथ-साथ अन्य ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीशों के पारित विभिन्न आदेशों को भी प्रस्तुत किया, जिनमें कहा गया था कि मामले के दस्तावेजों को पार्टियों के अलावा किसी और के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता के वकील ने कहा कि मामले में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
सुनंद पुष्कर मौत मामला क्या है
बता दें कि पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात दिल्ली के एक लग्जरी होटल के सुइट में मृत पायी गई थीं. थरूर के आधिकारिक बंगले में मरम्मत का काम चलने के कारण दंपति होटल में ठहरा हुआ था. थरूर पर क्रूरता और आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे, लेकिन उन्हें इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया था. वहीं अगस्त 2021 में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया था. फैसले के बाद थरूर ने अदालत से कहा था कि यह "साढ़े सात साल की घोर यातना" थी.
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