Delhi HC On PFI Leader: 'नजरबंद रखने का कानून में कोई प्रावधान नहीं,' PFI नेता की याचिका पर जानें कोर्ट का रिएक्शन
Delhi HC On PFI Leader: PFI के पूर्व अध्यक्ष अबूबकर ने मेडिकल ग्राउंड पर रिहा होने के लिए निचली आदालत में पिटीशन डाला था. राहत नहीं मिलने पर अबूबकर ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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Delhi HC On PFI Leader: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (19 दिसंबर) को कहा कि जेल में बंद अबूबकर को इलाज करवाया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि लेकिन पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष को घर में नजरबंदी में नहीं रखा जाएगा. अबूबकर ने निचली अदालत के चिकित्सा आधार पर रिहा नहीं किए जाने के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने कहा, “जब आप चिकित्सा के आधार पर जमानत मांग रहे हैं तो हम आपको घर क्यों भेंजे? हम आपको अस्पताल भेजेंगे.” अबूबकर (70) के वकील ने पिछले महीने कहा था कि उनको कैंसर और पार्किंसंस रोग है और वह “गंभीर पीड़ा” में हैं, जिसके लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता है.
नजरबंद रखने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं
अबूबकर को इस साल की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन पर व्यापक कार्रवाई के दौरान NIA की तरफ से गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं. पीठ ने सोमवार (19 दिसंबर) को टिप्पणी की “नजरबंद” रखने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था. कोर्ट ने निर्देश दिया कि, अबूबकर को 22 दिसंबर को ‘ऑन्कोसर्जरी’ समीक्षा के लिए हिरासत में एम्स में “सुरक्षित रूप से ले जाया जाए” और उनके बेटे को भी परामर्श के समय उपस्थित रहने की अनुमति दी.
अदालत ने कहा, “वह इलाज के हकदार हैं”
अदालत ने कहा, “हम आपको नजरबंदी नहीं दे रहे हैं. कानून में नजरबंद किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है. माननीय सुप्रीम कोर्ट के पास शक्तियां हैं जो हाई कोर्ट के पास नहीं हैं.” जस्टिस मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें इसमें कुछ भी उचित नहीं दिख रहा है क्योंकि किसी सर्जरी की सिफारिश नहीं की गई है. सबसे पहले तो हम आपको नजरबंदी में नहीं भेज सकते हैं. यदि आपकी चिकित्सा स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, तो हम अस्पताल में भर्ती होने का निर्देश दे सकते हैं. हम एक परिचारक की अनुमति दे सकते हैं. हम किसी और चीज की अनुमति नहीं दे रहे हैं.”
पीठ ने मामले को अगले साल जनवरी में विचार के लिए सूचीबद्ध किया और जेल चिकित्सा अधीक्षक को एम्स के ऑन्कोसर्जरी विभाग के साथ परामर्श पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
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