मेटरनिटी लीव लेने के चलते एडहॉक प्रोफेसर को नौकरी से हटाने के फैसले को दिल्ली HC ने गलत ठहराया
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस वजह से किसी एडहॉक टीचर का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू ना करना क्योंकि उसने मेटरनिटी लीव ली है यह जायज नहीं है.
नई दिल्ली: गर्भवती प्रोफेसर को मेटरनिटी लीव ना देने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. हाइकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले अरबिंदो कॉलेज पर 50000 रुपये का जुर्माना लगाया है साथ ही एडहॉक पद पर काम कर रही प्रोफेसर को वापस नौकरी पर रखने का आदेश दिया है.
मेटरनिटी लीव ना देने और नौकरी से हटाने के फैसले को दी चुनौती दिल्ली यूनिवर्सिटी के अरबिंदो कॉलेज में एडहॉक तौर पर काम करने वाली एक प्रोफ़ेसर ने अरबिंदो कॉलेज उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें याचिकाकर्ता प्रोफेसर को मेटरनिटी लीव ना देने और उनका एडहॉक कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने का फैसला लिया गया.
याचिकाकर्ता प्रोफेसर की मांग थी की उनको नौकरी पर वापस रखा जाए क्योंकि कि उन्होंने जो छुट्टी ली थी वह मेटरनिटी लीव थी और इसके बारे में कॉलेज प्रशासन को जानकारी भी दी थी.
इसके बाद भी उस शुरुआत में उनकी सैलरी काटी गई और बाद में उनका कॉन्ट्रैक्ट यह कहते हुए रिन्यू करने से मना कर दिया गया की छुट्टी अप्रूव न होने के बावजूद उन्होंने छुट्टी ली थी.
किसी को मां बनने की सजा नहीं दी जा सकती- कोर्ट हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि सिर्फ इस वजह से किसी एडहॉक टीचर का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू ना करना क्योंकि उसने मेटरनिटी लीव ली है यह जायज नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी प्रोफेसर को इस बात के लिए नौकरी से नहीं हटाया जा सकता कि उसने मां बनने का फैसला किया.
हाईकोर्ट ने अरबिंदो कॉलेज को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द याचिकाकर्ता प्रोफेसर को वापस एडहॉक प्रोफेसर की नौकरी पर रखे हैं जब तक इस पोस्ट को रेगुलर प्रोफेसर के द्वारा भरा नहीं जाता.