नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मेडिकल माफिया और राजनेताओं के बीच सांठगांठ की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस को यह बताना चाहिए कि आखिर ये दवाएं आई कहां से और क्या सही तरीके से ली गईं थी? क्योंकि जब आम लोगों को दवा नहीं मिल रही तो आखिर इन लोगों को इतनी बड़ी मात्रा में दवा कैसे मिली? गौरतलब है कि श्रीनिवास, गौतम गंभीर समेत अन्य नेताओं से पूछताछ करने के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में दी गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में यह बताया था कि दवाओं को जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में दिया जा रहा था. इस सुनवाई के दौरान बीजेपी सांसद गौतम गंभीर का नाम बार-बार आया कि जब लोगों के पास दवा नहीं थी तो आखिर गौतम गंभीर की फाउंडेशन के पास एक डॉक्टर की प्रिस्किप्शन के आधार पर वह दवा कैसे उपलब्ध हुई?
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि ऐसे समय में जब लोगों को दवा नहीं मिल रही, इन राजनेताओं और मददगारों के पास दवा कैसे पहुंच रही? गौतम गंभीर का उदाहरण देते हुए कहा कि गौतम गंभीर ने एक डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर गौतम गंभीर फाउंडेशन के जरिए दवा हासिल की, पैसा भी गौतम गंभीर फाउंडेशन ने ही दिए. जिस पर कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगर उनके पास अभी भी दवा है तो वह स्वास्थ्य विभाग को सौंप दें. स्वास्थ्य विभाग लोगों की जरूरत के साथ उन दवाओं को लोगों तक पहुंचाएं. अगर वह इसके जरिए लोगों की मदद करना चाहते हैं तो इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता है.
इसी दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि शुरुआती तौर पर हमको ऐसा मुमकिन नहीं लगता कि इस किल्लत के वक्त में कोई भी डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन लेकर जाए और दवा की इतनी बड़ी मात्रा लेकर चला आए. इसमें कुछ और भी है. कोर्ट ने कहा हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली पुलिस अपनी जांच को सही ढंग से आगे बढ़ाएगी और अगर कुछ गलत पाया जाता है तो एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि जरूरी दवाएं अगर किसी के पास भी हैं तो वह ठीक नहीं है, ऐसे वक्त में दवाओं की जमाखोरी नहीं की जा सकती.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों और राजनेताओं को इस आपदा में अवसर ढूंढने का मौका नहीं दिया जा सकता. ऐसे वक़्त में जब लोगों को दवा नहीं मिल रही. कुछ खास लोगों को दवा जमाखोरी की इजाजत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनेताओं के पास ऐसा अधिकार नहीं है अगर उनके पास सुविधा उपलब्ध हुई है और वह जनता की सेवा ही करना चाहते हैं तो उनको करीबी स्वास्थ्य विभाग में देना चाहिए और स्वास्थ्य विभाग उसको सुविधानुसार लोगों तक मुहैया कराएं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से पूछा कि आखिर गौतम गंभीर को इतनी बड़ी संख्या में दवाइयां कैसे मिल गईं वह भी तब जब लोगों को दवाइयां उपलब्ध नहीं थी?
दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस को यह बताना चाहिए कि आखिर ये दवाएं आई कहां से और क्या सही तरीके से ली गईं थी क्योंकि जब आम जनता डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन लेकर दवाई की दुकान के चक्कर लगाता है पर आम जनता को वो दवा नहीं मिल रही तो आखिर इन लोगों को इतनी बड़ी मात्रा में दवा कैसे मिली? कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्योंकि इस मामले में राजनेताओं का नाम है, इसका मतलब यह नहीं कि दिल्ली पुलिस ढंग से जांच भी ना करे. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि आपकी जिम्मेदारी है कि आप सच का पता लगाकर सच सामने रखें, क्योंकि यह जिम्मेदारी लोगों के प्रति भी है, वह लोग जो परेशान हैं, जिनको दवाई नहीं मिल रही, यह सब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या आप लोगों को पता है कि यह जरूरी दवाएं ना मिलने की वजह से कितने लोगों की जान चली गई. सिर्फ इस वजह से क्योंकि कुछ लोगों ने जमाखोरी कर रखी है. कोर्ट ने इस मामले में ड्रग कंट्रोलर को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उम्मीद करते हैं कि दिल्ली पुलिस इस मामले की सही ढंग से जांच करेगी और स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के सामने दायर करेगी. कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं की राजनीतिक फायदे के लिए दवाओं की जमाखोरी नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि उम्मीद करते हैं कि राजनेताओं के पास जो दवाइयां उपलब्ध हैं वह स्वास्थ्य विभाग को देंगे, जिससे कि स्वास्थ्य विभाग उनको अपनी जरूरत के हिसाब से लोगों तक पहुंचा सके.
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