Delhi High Court: पेशाब करने, थूकने और कूड़ा डालने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की फोटो? याचिका पर जानें हाई कोर्ट का रिएक्शन
दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया था कि अपने धर्म में आस्था और उसे मानने की स्वतंत्रता से पैदा हुई भक्ति के मद्देनजर इस तरह के कार्यों की अनुमति नहीं दी जा सकती.
Plea In Delhi High Court: दिल्ली में सार्वजनिक स्थलों पर देवी, देवताओं की फोटो नहीं लगाने की जनहित याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट सोमवार (19 दिसंबर) को खारिज कर दिया. याचिका में सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को मूत्र त्याग करने, थूकने और गंदगी फैलाने से रोकने के लिए, दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगाने की परम्परा को रोकने का अनुरोध किया गया था.
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने पहले दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में कहा गया कि यह आम परम्परा हो गई है. ये समाज में गंभीर खतरा पैदा कर रही है क्योंकि इन तस्वीरों को लगाना उन गतिविधियों को रोकने की गारंटी नहीं है.
पवित्र तस्वीरों की पवित्रता को भंग करता है
याचिकाकर्ता और अधिवक्ता गौरांग गुप्ता ने कहा, ‘‘अपने धर्म में आस्था और उसे मानने की स्वतंत्रता से पैदा हुई भक्ति भाव के मद्देनजर इस तरह के कार्यों की अनुमति नहीं दी जा सकती.’’ याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थलों पर पेशाब करने, थूकने या कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए दीवार पर पवित्र तस्वीरों को लगाना भारतीय दंड संहिता की धारा- 295 और 295 ए का उल्लंघन है, क्योंकि इससे आम जनता की भावना आहत होती है.
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने पहले के एक मामले में खुले में मूत्र त्याग की समस्या को स्वीकार किया था और अपने आदेश में कहा था कि दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाने की प्रथा के कारण लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं.