नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर हुई एक बैठक के दौरान दिल्ली के मुख्य सचिव अंशुप्रकाश पर आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों के कथित हमले में तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग से जुड़ी एक याचिका आज दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्वीकार कर दी. अति आवश्यक आधार पर सुनवाई के लिए यह याचिका कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के सामने पेश की गई थी.


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पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस पहले से ही इस मामले को देख रही है और वह अंतिम नतीजे का इंतजार करेगी. पीठ ने कहा, ‘‘वे (पुलिस) कानून के मुताबिक कार्रवाई करेंगे. हम अंतिम नतीजे का इंतजार करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि मीडिया में आई खबरों के मुताबिक दोनों पक्षों की इस मामले में अलग-अलग कहानी है.


अपनी याचिका में एडवोकेट के एस वाही ने न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुये कहा था कि अगर ‘‘निर्वाचित (विधायक) और चयनित (नौकरशाह) आपस में लड़ेंगे’’ तो शहर को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. वकील ने कहा, ‘‘दोनों प्रतिनिधियों को दिल्ली के कामकाज और प्रशासन के लिये बने कानून के मुताबिक काम करना होगा.’’


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वकील ने यह अनुरोध करते हुए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की थी कि कथित हमला पूर्व नियोजित था और इसमें वहां मौजूद सभी लोगों की साजिश है जिससे नौकरशाहों को उनके वैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने से रोका जा सके. दिल्ली के मुख्य सचिव की शिकायत पर पुलिस ने कल विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.