Shashi Tharoor Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (29 अगस्त) को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर एक टिप्पणी की थी. इसको लेकर बीजेपी नेता ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया था. इसे शशि थरूर ने कोर्ट में चुनौती दी थी.


थरूर ने ट्रायल कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसके तहत उन्हें आरोपी के तौर पर तलब किया गया था और 2 नवंबर, 2018 की शिकायत को रद्द करने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2020 को आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया था. साथ ही पक्षों को 10 सितंबर को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने आदेश सुनाते हुए कहा, "कार्यवाही रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता है."


बीजेपी नेता ने किया मानहानि का मुकदमा


2018 में बैंगलोर लिटरेचर फेस्टिवल में बोलते हुए कांग्रेस सांसद ने कथित तौर पर एक अनाम आरएसएस सूत्र का हवाला दिया, जिसने कथित तौर पर मोदी को "शिवलिंग पर बैठे बिच्छू" के रूप में वर्णित किया था. उन्होंने इसे "असाधारण रूप से आकर्षक रूपक" कहा. इस टिप्पणी पर मानहानि का यह मामला बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने दायर किया था, जिन्होंने थरूर की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. 


'शिवभक्तों की भावनाओं को किया आहत'


अपनी शिकायत में राजीव बब्बर ने कहा था, "मैं भगवान शिव का भक्त हूं... हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं की पूरी तरह से अवहेलना की, (और) ऐसा बयान दिया जिससे भारत और देश के बाहर सभी भगवान शिव भक्तों की भावनाएं आहत हुईं." यह शिकायत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत दर्ज की गई थी.


ये भी पढ़ें: Bangladesh Violence: 'दोस्ती के हर प्रतीक पर हमला, अब चुप रहना मुश्किल', बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को लेकर थरूर ने क्या कहा?