'शिक्षा का अधिकार शरणार्थियों के लिए नहीं', दिल्ली हाई कोर्ट ने रोहिंग्या रेफ्यूजी से जुड़ी याचिका की खारिज
Delhi High Court on Rohingya: याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आपको पहले उचित अथॉरिटी के पास जाना चहिए था, लेकिन आप सीधा कोर्ट आ गए. यह हम तय नहीं कर सकते हैं. यह पॉलिसी डिसीजन का मामला है.
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Delhi High Court Latest News: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (29 अक्टूबर 2024) को रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को दिल्ली के सरकारी स्कूल में एडमिशन देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को गृह मंत्रालय के पास ज्ञापन देने के लिए कहा है. गृह मंत्रालय से ज्ञापन पर कानून के मुताबिक जल्द से जल्द फैसला लेने के लिए कहा गया है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार सिर्फ भारत के नागरिकों के लिए है. आपको पहले उचित अथॉरिटी के पास जाना चहिए था, लेकिन आप सीधा कोर्ट आ गए. यह हम तय नहीं कर सकते हैं. यह पॉलिसी डिसीजन का मामला है.
'यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला'
दिल्ली हाई कोर्ट ने आगे कहा कि कोर्ट नागरिकता नहीं दे सकता है, नागरिकता देने का काम सरकार का है. यह कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मामला है. यह सुरक्षा से भी जुड़ा मामला भी है, आपको देखना चहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने असम एकॉर्ड में क्या फैसला दिया है.
किसने और क्यों डाली याचिका?
यह याचिका दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की ओर से अपने स्कूलों में एनरोल्ड म्यांमार रोहिंग्या शरणार्थी छात्रों को वैधानिक लाभ देने से इनकार करने के बाद सोशल ज्यूरिस्ट नामक एक गैर सरकारी संस्था की ओर से डाली गई थी. याचिका में कहा गया था कि यह आचरण इन बच्चों के लिए शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के साथ-साथ बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में कहा गया है.
याचिकाकर्ता ने दिया था ये तर्क
याचिका में ये भी कहा गया था कि एमसीडी स्कूल बच्चों को इस आधार पर दाखिला देने से इनकार कर रहा है कि उनके पास आधार कार्ड, बैंक खाते और यूएनएचआरसी की ओर से जारी शरणार्थी कार्ड को छोड़कर अन्य दस्तावेज नहीं हैं. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जब तक ये बच्चे भारत में रहेंगे, वे भारत के संविधान और संबंधित वैधानिक कानूनों के अनुसार शिक्षा के मौलिक और मानवाधिकारों के हकदार हैं, इसलिए इस अधिकार से वंचित करना उनके मौलिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने ये भी कहा था कि यह सुनिश्चित करना शिक्षा निदेशालय और दिल्ली नगर निगम की जिम्मेदारी है कि 14 वर्ष से कम आयु के सभी छात्रों को श्री राम कॉलोनी, खजूरी चौक क्षेत्र में सरकारी या एमसीडी स्कूलों में दाखिला मिले, जहां ये बच्चे रहते हैं.
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