नई दिल्ली: AIIMS में नर्सों की हड़ताल पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. नर्सों के हड़ताल के बाद AIIMS ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसके बाद हाई कोर्ट ने हड़ताल पर रोक लगाते हुए नर्सों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा.
एम्स ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि हड़ताली नर्सों की जो भी मांगे हैं उन पर विचार किया जाएगा. अब दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी. एम्स की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी का समय है लिहाजा स्ट्राइक पर नहीं जा सकते हैं.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद एम्स प्रशासन ने नर्स एसोसिएशन को शाम पांच बजे मीटिंग के लिए बुलाया है.
करीब पांच हजार नर्स अपनी मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया था. इसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
क्या है मांग?
नर्सों की मांगों में छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू करना और अनुबंध पर भर्ती खत्म करना भी शामिल है.
हड़ताल पर जाने के बाद एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश में महामारी के समय में हड़ताल को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. उन्होंने एक भावुक संदेश में कहा, ‘‘मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर नहीं जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा नहीं करें.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें.’’ गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन और सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं.
उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की असंगतता से जुड़ी हुई है.
एम्स निदेशक ने कहा कि नर्स संघ के साथ कई बैठकें न केवल एम्स प्रशासन की हुई हैं बल्कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, व्यय विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भी हुई हैं और जिस व्यक्ति ने छठे सीपीसी का मसौदा तैयार किया वह भी बैठक में मौजूद था. उन्हें बताया गया है कि उसकी व्याख्या सही नहीं है.