(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
High Court On Worship Places : 'मंदिर-मस्जिद बन गए हैं पंडित और इमामों की रिहाइश', दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों कहा ऐसा, जानें
Delhi High Court On Worship Places: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता एक अवैध कब्जाधारी है और दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कब्जा करने वाला है. उसकी याचिका का कोई आधार नहीं है."
Delhi High Court On Places Of Worship: दिल्ली हाई कोर्ट ने सार्वजनिक उपासना स्थलों को निजी संपत्ति में तब्दील करने पर फिक्र जाहिर की है. कोर्ट ने कहा, " पुजारियों, पंडितों, इमामों व देखभाल करने वाले लोग एवं उनके परिवार के सदस्य अवैध और अनधिकृत तरीके से संपत्ति पर दावा करते हैं."
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा, "पूजा स्थलों को आवासों में बदल दिया जाता है और परिसर की देखभाल करने वाले लोग ही उस पर कब्जा कर लेते हैं, जिसमें उनका परिवार, घरेलू नौकर और अन्य लोग शामिल हैं. ये कानून के खिलाफ है" हाईकोर्ट ने इतनी सख्त टिप्पणी इंडिया गेट के पास मान सिंह रोड पर मस्जिद जाब्ता गंज के बगल में स्थित एक अहम संपत्ति से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान की.
हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा, "कुछ मामलों में देखा है कि पूजा स्थलों को आवंटित भूमि से ज्यादा जमीन पर बना लिया जाता है और उस पर कब्जा कर लिया जाता है, फिर उसे कमर्शियल प्रॉपर्टी में बदल देते हैं. इसके बाद उस जमीन से अवैध तरीके से किराया/पट्टे की राशि वसूली जाती है." जस्टिस सिंह ने कहा, "इस मामले में भी यह साफ नहीं है कि किस आधार पर 'कामगार' के तौर पर दर्ज इतने सारे लोगों को याचिकाकर्ता की ओर से संपत्ति में शामिल किया गया और कई बरसों तक उन लोगों का जायदाद पर कब्जा बना रहा".
याचिकाकर्ता पर ही जुर्माना लगाया
याचिकाकर्ता जहीर अहमद ने याचिका दायर कर संपत्ति को डी-सील करने की मांग की, जिसमें एक कमरा, रसोई, बाथरूम और मस्जिद से सटे कुछ स्थान शामिल हैं. याचिकाकर्ता ने प्रॉपर्टी में पुनर्निर्माण की अनुमति भी मांगी थी. हालांकि हाईकोर्ट से उसे झटका लगा. हाईकोर्ट ने उसे 'अनधिकृत कब्जाधारी' बताया और उसकी याचिका को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि उसने दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कब्जा किया है. इतना ही नहीं उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर 8 हफ्ते के अंदर दिल्ली वक्फ बोर्ड को 15 लाख रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा, अदालत ने अहमद को 8 सप्ताह के भीतर दिल्ली वक्फ बोर्ड को खर्च के रूप में भी 2 लाख रुपये जमा करने को भी कहा.
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