Delhi High Court on street vendor: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि रेहड़ी पटरी वालों के पास बिक्रीस्थल पर चौबीस घंटे काबिज रहने और अपना सामान वहां रखने का कोई अधिकार नहीं है, बिक्री समय समाप्त होने के बाद उसे वह स्थल सामान के साथ छोड़ देना चाहिए.


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ओखला औद्योगिक क्षेत्र के रेहड़ी-पटरी वालों के एक समूह द्वारा वहां से अतिक्रमण हटाने से संबंधित कार्यवाही में पक्षकार बनाने के अनुरोध वाली एक अर्जी पर विचार कर रही थी. पीठ ने कहा कि बिक्री के लिए प्रमाणपत्र केवल रेहड़ी पटरी वालों को उन शर्तों पर बिक्री करने का अधिकार देता है जिन पर लाइसेंस प्रदान किया गया है. पीठ ने कहा कि इसलिए रेहड़ी पटरी वाले आवंटित स्थल का उपयोग केवल बिक्री लाइसेंस में उल्लेखित घंटों के दौरान ही कर सकते हैं.


पीठ ने कहा, "विक्रेता को बिक्री स्थल पर चौबीस घंटे काबिज रहने और अपने सामान को उक्त स्थल पर रखने का कोई अधिकार नहीं है. वह उसे आवंटित बिक्री स्थल पर बिक्री समय के दौरान ही आ सकता है, जिसकी अनुमति लाइसेंस की शर्तें के अनुसार है, तथा उसे उक्त समय की समाप्ति के बाद सामान के साथ वह जगह छोड़ देनी चाहिए."


अर्जी में अर्जीकर्ताओं ने दावा किया कि अदालत के पिछले महीने पारित आदेश के कारण जिसमें उसने अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, उन्हें उनके बिक्री के स्थान से हटा दिया जाएगा, इसलिए उन्होंने कार्रवाई को रोकने के लिए एक निर्देश का अनुरोध किया है. कोर्ट ने कहा कि अर्जी में गुणदोष का अभाव है. कोर्ट ने यह कहते हुए उसे खारिज कर दिया उसने केवल क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है और विक्रेताओं ने प्राधिकारियों द्वारा जारी किए गए बिक्री प्रमाणपत्र होने का दावा किया है.


कोर्ट ने कहा, "यह अर्जी रेहड़ी पटरी वालों के एक समूह द्वारा दायर की गई है, जो दावा करते हैं कि उन्हें निगम द्वारा बिक्री का प्रमाणपत्र जारी किया गया है. हमारे आदेश दिनांक 24.03.2022 के तहत, हमने केवल क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है. बिक्री का प्रमाणपत्र केवल रेहड़ी पटरी वालों को उन शर्तों के अनुसार बेचने का अधिकार देता है जिन पर लाइसेंस दिया गया है."


24 मार्च को कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और अन्य संबंधित अधिकारियों को ओखला औद्योगिक क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण को हटाने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मुद्दे पर अदालत द्वारा स्वयं शुरू की गई एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया गया था.


इसे भी पढ़ेंः
Rashmi Yadav Suicide Case: पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे अखिलेश यादव, कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार को घेरा


Nitesh Rane की CM Uddhav Thackeray को चुनौती- सिर्फ 24 घंटों के लिए हटा लो पुलिस...