नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के हालात और ऑक्सीजन की किल्लत के मुद्दे पर बुधवार को भी दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रही. हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई का 15वां दिन था. बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से कहा कि वह आने वाले दिनों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में ऑक्सीजन स्टोरेज की व्यवस्था को लेकर तैयारी करें. इस बीच हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि दुश्मन अगर आम हो तो एकजुट होकर लड़ाई लड़नी चाहिए भले ही आप दुश्मन क्यों ना हों.
कोर्ट द्वारा नियुक्त सलाहकार ने कोर्ट को बताया कि हालात पहले के मुकाबले थोड़े सुधर रहे हैं. कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि कल रात तक दिल्ली को 555 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल गई थी. जबकि 2 मई को आधी रात तक 447 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली थी. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह हुआ है. यह दबाव जारी रहना चाहिए. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोर्ट दिल्ली के हालातों पर रोजाना नजर रखे. हमको उम्मीद है कि दिल्ली को जल्द ही 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलने लगेगी.
केंद्र सरकार के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि हम जो कहना चाहते थे कल वह बात सही से सामने नहीं आई और मीडिया में भी उसी तरीके से बात गई. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि कल इस तरह से सामने आया जैसे केंद्र सरकार लोगों की जान को लेकर असंवेदनशील है जबकि ऐसा नहीं है. हम भी दिन रात प्रयास कर रहे हैं.
मांग के मुताबिक मिले ऑक्सीजन
केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हालातों को देखकर हमको भी दुख होता है और पीड़ा होती है. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम सबको ही मौजूदा हालातों को देखकर पीड़ा हो रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कहीं कुछ असमंजस की बात ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों यही चाहते हैं कि दिल्ली को उसकी मांग के मुताबिक ऑक्सीजन मिले जो अभी तक नहीं मिल रही थी. कोर्ट ने कहा कि कल की टिप्पणियां रोजाना हमारे सामने आ रहे हालातों को देखते हुए हुई थी आखिरकार हम भी इंसान हैं.
कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया कि जो मदद मिल रही है. वह बिना इस बात की परवाह किए हुए कि अस्पताल को कितनी जरूरत है या नहीं है. कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल का उदाहरण देते हुए कहा कि हर बेड को ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की जरूरत नहीं है. जो भी यह सलाह दे रहा है उसकी वजह से अस्पतालों को भी दिक्कत हो रही है. कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले तीन-चार दिनों के अंदर दिल्ली को रोजाना 550 से 570 मीटर ऑक्सीजन मिलने लगेगी. जिसके बाद अस्पताल जरूरतमंद को इलाज दे सकते है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि खुदा न खास्ता अगर कोरोना की तीसरी लहर आए तो कम से कम हमको उस दौरान इन सारी दिक्कतों और बातों को लेकर एक बार फिर कोर्ट के सामने ना आना पड़े. कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट से कहा कि अब लोग दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गई हेल्पलाइन के जरिए मदद लेने की कोशिश कर रहे हैं. जिस पर जस्टिस रेखा पल्ली ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह फिलहाल काम नहीं कर रही हैं. मेरा चचेरा भाई सुबह 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक इस हेल्पलाइन से जुड़ने की कोशिश करता रहा. कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल दिल्ली फाइट कोरोना वेबसाइट पर अब कितने घंटे की ऑक्सीजन बची है यह जानकारी भी उपलब्ध है.
दिल्ली हाईकोर्ट में चली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कोर्ट के सलाहकार से कहा कि वह इस सुझाव पर भी विचार करें कि क्या दिल्ली में तकनीक के इस्तेमाल को लेकर आईआईटी और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ की मदद ली जा सकती है! दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह आईआईटी और दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की मदद लेकर दिल्ली में ऑक्सीजन स्टोरेज को बढ़ाने पर विचार करें. इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि दिल्ली सरकार के पोर्टल पर सिर्फ रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर ही जानकारी दी जा रही है. जिसके बाद कोर्ट ने पोर्टल तैयार करने वाले दो अधिकारियों को गुरुवार को कोर्ट में बुलाया है.
मांगा जवाब
इसी के साथ दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि अगर सहायता के तौर पर कुछ सामान आया हुआ है तो वह संस्थाओं तक पहुंचना चाहिए क्योंकि अगर वह सामान ऐसे ही पड़ा रहेगा तो उसका कहीं कोई इस्तेमाल नहीं होगा. कोर्ट ने इसके साथ ही कई मामलों में फॉल्स आरटी-पीसीआर टेस्ट का भी जिक्र करते हुए कहा कि अगर मरीज में लक्षण है तो उसको इलाज मिलना चाहिए. कोर्ट ने फाल्स आरटी-पीसीआर टेस्ट वाले मरीजों को इलाज मिलने में आ रही दिक्कत को लेकर दिल्ली सरकार और आईसीपीसीआर से जवाब देने को कहा.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने प्रवासी मजदूरों को जो पैसा देने को कहा है वह सुचारू रूप से उनको मिलना चाहिए. इसमें अगर कोई दिक्कत आ रही है तो उसको दूर किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यह पैसा उन मजदूरों को हर हाल में मिलना चाहिए जो 1 अप्रैल के बाद से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए हैं.
सेना का सहयोग
सेना के सहयोग पर केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि तीनों सेना यानी नौसेना, वायुसेना और थलसेना पिछले साल जब कोरोना वायरस ने दस्तक दी थी उसी के बाद से लगातार काम पर है. सेना की मदद से अस्पताल बनाए गए हैं. इतना ही नहीं सेना के बेस अस्पतालों को भी जनता के लिए खोल दिया गया है और वहां पर डॉक्टर और नर्स लोगों की सेवा कर रहे हैं. फिलहाल दिल्ली में कोशिश की जा रही है कि सेना के बेस अस्पताल में 390 और बेड बढ़ाए जाएं. वहीं वायु सेना की मदद से ऑक्सीजन टैंकर लाने ले जाने का काम किया जा रहा है.
कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब फिलहाल सेना की मदद से फील्ड अस्पताल तैयार करने को लेकर कोई बात नहीं हुई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हमको जानकारी मिली है कि इनॉक्स के पास 200 मीट्रिक टन का कांडला में प्लांट है. उसी तर्ज पर दिल्ली में ऑक्सीजन प्लांट बनाने की तैयारी होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इसके लिए सेना के इंजीनियरिंग विंग की मदद ली जा सकती है. दिल्ली हाईकोर्ट ने हल्के माहौल में टिप्पणी करते हुए कहा की जंग में अगर कोई आम दुश्मन है, तो आपको एकजुट होना चाहिए. भले ही आप दुश्मन क्यों हों. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र और दिल्ली को दोनों को मिलकर दिल्ली में ऑक्सीजन स्टोरेज के लिए इंतजाम करने होंगे.
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट को दिल्ली सरकार के उस आदेश के बारे में भी जानकारी दी गई जिसमें नर्सिंग होम से कहा गया है कि वह कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज ग्राउंड फ्लोर या फर्स्ट फ्लोर पर ही करें. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या इससे जिन बीमारियों से ग्रसित मरीजों का पहले से इलाज चल रहा है उनको दिक्कत नहीं होगी. दिल्ली सरकार ने कहा कि हमने कोई नोटिस नहीं दिया एडवाइजरी जारी की है. कोर्ट ने कहा कि आपने इस तरह की एडवाइजरी जारी कर अस्पतालों के सिर पर एक तलवार लटका दी है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि देखें अगर इस तरीके की एडवाइजरी को कुछ वक्त के लिए टाला जा सकता है.
सेना से जुड़ी संयुक्त सचिव स्वास्थ्य दिल्ली हाईकोर्ट के सामने पेश हुईं. उनको कोर्ट के उस सुझाव के बारे में बताया गया, जिसमें कोर्ट ने कहा कि सेना की मदद से दिल्ली में ऑक्सीजन स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने की कोशिश की जाए. कोर्ट ने कहा कि आप इस पर विचार कीजिए यह कैसे हो सकता है जिस पर ज्वॉइंट सेक्रेटरी ने कहा कि मुश्किल वक्त है और हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं हर संभव मदद पहुंचाने की.
इस बीच एक वकील ने निजी एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी का जिक्र करते हुए कहा कि इनका ध्यान भी रखा जाना चाहिए. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने निजी एंबुलेंस के लिए अलग से ऑक्सीजन रखी है. हमने इस को ध्यान में रखते हुए एक केंद्रीकृत व्यवस्था तैयार की है. दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर पूल बनाने का काम किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इससे काफी मदद मिल सकती है. दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस पूल के तहत अब दिल्ली के हर एक जिले में 20 ऑक्सीजन सिलेंडर दिए जाएंगे. जिले के डीएम की जिम्मेदारी होगी कि वह इन ऑक्सीजन सिलेंडर का कैसे इस्तेमाल करना है उसकी निगरानी करें.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह जो भी आदेश पारित कर रही है उसके बारे में विस्तृत जानकारी अखबारों और मीडिया के माध्यम से दी जानी चाहिए. साथ ही यह जानकारी दिल्ली सरकार के वेबसाइट पर भी उपलब्ध होनी चाहिए. इसी दौरान कोर्ट ने अस्पतालों को भी नसीहत दी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अस्पतालों से कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने के 6 घंटे पहले संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दें और अगर फिर भी मदद नहीं मिलती है तो सरकार और कोर्ट को बता सकते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए किसी से कोर्ट में आकर ही बताएं कि ऑक्सीजन खत्म होने वाली है.
वैसे तो पिछले 15 दिनों से हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान रोजाना कोई ना कोई अस्पताल हाईकोर्ट से गुहार कर रहा था लेकिन बुधवार को पॉजिटिव न्यूज़ तब सामने आई जब मिली महाराजा अग्रसेन अस्पताल ने कोर्ट बताया कि उनको समुचित मात्रा में ऑक्सीजन मिल गई है. जिसकी वजह से उन्होंने अस्पताल में 30 और मरीजों को भर्ती किया है. अब ये सुनवाई गुरुवार यानी लगातार सोहलवें दिन भी जारी रहेगी.
यह भी पढ़ें: दक्षिण के 2 राज्यों में कोरोना की डरावनी रफ्तार, कर्नाटक में रिकॉर्ड 50 हजार तो केरल में कोविड-19 के मामले 42 हजार