नई दिल्ली: हाल ही में सीबीआई निदेशक पद से हटाए गए आलोक वर्मा पर एक शख्स ने गंभीर आरोप लगाए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सार्थक चतुर्वेदी नाम के शख्स ने कहा कि आलोक वर्मा ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के फोन टेप करवाए. याचिका में कहा गया है कि सीबीआई के डीआईजी मनीष सिन्हा ने जो याचिका सुप्रीम कोर्ट मे लगायी थी उसमें फोन टैपिंग के संकेत मिले हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार और सीबीआई दोनों को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्यों न इस मामले की जांच एसआईटी से कराई जाए. मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को है.
सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा ने अक्टूबर में छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी. दावा है कि उस याचिका में एक एप्लिकेशन आई CBI में DIG मनीष सिन्हा की जिसमें कहा गया कि वो राकेश अस्थाना पर हुई FIR की जांच कर रहे थे. आवेदन में लिखा है कि NSA ने अस्थाना को बताया कि उनके खिलाफ FIR है.
आवेदन में RAW के एक अधिकारी का जिक्र किया गया है. केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय के सचिव का भी जिक्र गया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, इन बातों से साफ पता लगता है कि CBI द्वारा देश के उच्च अधिकारियों की फोन टैपिंग की गई है. नियमों के मुताबिक फोन टैप करने के लिए गृह सचिव की अनुमति जरूरी होती है.
याचिकाकर्ता ने और क्या कहा?
- टेलीफोन सर्विलांस के नियमों को लेकर विस्तृत रूपरेखा बने.
- मनीष सिन्हा के आवेदन से जिस तरह गैर कानूनी फोन टैपिंग का पता चलता है उस मामले की SIT जांच करे.
- हम NSA के इशारे पर काम नहीं कर रहे. NSA का फोन टैप होना देश की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा करता है. देश की सुरक्षा खतरे में होगी तो हममें से हर कोई प्रभावित होगा.
आपको बता दें कि 10 जनवरी को आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक पद से हटा दिया गया था. आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. आलोक वर्मा ने सीबीआई में नंबर टू रहे राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और उनके खिलाफ जांच शुरू की थी. जिसकी वजह से पिछले साल 23-24 अक्टूबर की रात को दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया था, सरकार के इस फैसले को आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलट दिया और आलोक वर्मा को दोबारा नियुक्त किया गया. हालांकि दो दिन बाद उन्हें तीन सदस्यों की कमेटी ने सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया.
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