नई दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने अदालत की अवमानना (contempt of court) ​​करने वाले एक व्यक्ति को 45 दिन के कारावास की सजा सुनाई है.  अदालत ने कहा है कि अगर न्यायपालिका (Judiciary) के सम्मान को ठेस पहुंची तो समाज के लोकतांत्रिक ताने-बाने को नुकसान होगा.


अदालत ने जुर्माना भी लगाया
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने अदालत की अवमानना करने वाले उक्त व्यक्ति पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसने उच्च न्यायालय (High Court) के एक आदेश के पर याचिकाकर्ता (petitioner) द्वारा बनाई गई चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया था.


अदालत ने आदेश में क्या कहा?
अदालत ने अपने 13 मई के आदेश में कहा, "प्रतिवादी संख्या-1 (अवमाननाकर्ता) के आपत्तिजनक आचरण को ध्यान में रखते हुए, यह अदालत यहां उपस्थित अवमाननकर्ता को 45 दिनों के साधारण कारावास के साथ-साथ 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाती है. प्रतिवादी संख्या-1 (अवमाननाकर्ता) ​​को तुरंत हिरासत में लेने का निर्देश दिया जाता है.’’


न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि अवमानना ​​संबंधी क्षेत्राधिकार का उद्देश्य अदालतों की गरिमा को बनाए रखना है और अदालत के आदेशों का उल्लंघन बाहुबल दिखाकर और डरा-धमकाकर कर नहीं किया जा सकता है.


अवमाननाकर्ता जानबूझकर आदेश की अवहेलना की
हाई कोर्ट ने कहा कि दीवार ढहाने का अवमाननाकर्ता का कदम न केवल झगड़े का परिणाम था, बल्कि उसने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना की थी और इसके लिए वह दया का पात्र नहीं है. अदालत ने कहा कि समाज को कड़ा संदेश देना होगा कि कड़े हथकंडे अपनाकर कोर्ट के आदेशों की धज्जियां नहीं उड़ाई जा सकतीं.


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