नई दिल्ली: ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने कहा है कि ये लाभ के पद का मामला नहीं हो सकता चुनाव आयोग इस मामले की फिर सुनवाई करे. इस फैसले के साथ  ही आप के 20 विधायक अपने पद पर बने रहेंगे.


क्या था पूरा विवाद
पूरा मामला मार्च 2015 का है जब अरविंद केजरीवाल ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया. विपक्ष ने विधायक रहते हुए इन्हें लाभ का पद देने का आरोप लगाया. प्रशांत पटेल नाम के सामाजिक कार्यकर्ता ने इसकी शिकायत राष्ट्रपति के यहां दी. अपनी पिटीशन में उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायक संसदीय सचिव बनाए गए हैं जो कि लाभ के पद हैं. इसलिए इनकी सदस्यता रद्द की जाए. प्रशांत पटेल की ये शिकायत राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के पास भेजी. चुनाव आयोग ने इस मामले की सुनवाई शुरू की.


दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने विधायकों को बचाने के लिए इन पदों को लाभ के पद से बाहर रखने के लिए कानून भी बनाने की कोशिश की. लेकिन राष्ट्रपति ने उसे मंजूरी नही दी. दिल्ली हाई कोर्ट में केन्द्र औऱ दिल्ली सरकार की तकरार पर चल रही सुनवाई में केन्द्र ने साफ किया था कि दिल्ली में इतने संसदीय सचिव नही रखे जा सकते. इसका कोई प्रावधान नही है. जिसके बाद 8 सितंबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दी थी. आम आदमी पार्टी इसी आर्डर आधार पर चुनाव आयोग से केस खत्म करने की अपील कर रही थी जिसे आयोग ने खारिज कर दिया.
किन-किन 20 विधायकों का नाम था शामिल




  • जरनैल सिंह

  • नरेश याद व

  • अल्का लांबा

  • प्रवीण कुमार

  • राजेश ऋषि

  • राजेश गुप्ता

  • मदन लाल

  • विजेंद्र गर्ग

  • अवतार सिंह

  • शरद चौहान

  • सरिता सिंह

  • संजीव झा

  • शिवचरण गोयल

  • अनिल कुमार

  • मनोज कुमार

  • नितिन त्यागी

  • सुखबीर दलाल

  • कैलाश गहलोत

  • आदर्श शास्त्री

  • सोम दत्त