ऑक्सीजन की कमी पर दिल्ली HC की केंद्र को फटकार, कहा- हम लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते
दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की जान नहीं जाने दे सकते.
नई दिल्ली. देश की राजधानी में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट में देर बीती रात साढ़े 10 बजे तक अहम सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार दिल्ली में किसी तरह की ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं होने देगी. केंद्र सरकार के इस भरोसे के बाद कोर्ट ने सुनवाई गुरुवार दोपहर 3 बजे तक के लिए टाल दी. इससे पहले कोर्ट ने बार-बार कहा कि हम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते, ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की जान नहीं जाने दे सकते.
दिल्ली हाईकोर्ट में यह सुनवाई मैक्स अस्पताल पटपड़गंज की तरफ से दायर उस अर्जी पर हुई जिसमें अस्पताल की तरफ से कहा गया कि उसके पास 15 घंटे की ऑक्सीजन बची है. अगर जल्दी ऑक्सीजन नहीं मिली तो 262 मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ने ही अपना पक्ष रखा. इस दौरान बीच-बीच में लगातार कोर्ट अपनी चिंता जाहिर करता रहा. कोर्ट की चिंता इसी बात को लेकर थी कि दिल्ली में जिस तरह के हालात हैं और अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो रही है वह एक चिंताजनक स्थिति है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना होगा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई लगातार बनी रहे जिससे कि लोगों की जान को सुरक्षित रखा जा सके.
वहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद ऑक्सीजन सप्लाई देख रही संयुक्त सचिव ने बताया कि देश में मौजूदा हालात में ऑक्सीजन का उत्पादन अधिकतम 7200 मीट्रिक टन हो सकती है जबकि इस वक्त मांग 8000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है. इस अहम सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इंडस्ट्री को दी जाने वाली ऑक्सीजन सप्लाई कम कर दी गई है. वहीं ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी आईनॉक्स की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि क्षमता के मुताबिक 100 फीसदी प्रोडक्शन हो रहा है. कोशिशें की जा रही हैं कि जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके. इससे पहले इतनी जरूरत कभी नहीं पड़ी.
कोर्ट ने दिया नासिक का उदाहरण
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमने नासिक में देखा है कि ऑक्सीजन की कमी से किस तरह लोगों की जान जा सकती है और इस वजह से यह जरूरत काफी गंभीर है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा हालत में सिर्फ आईनॉक्स से मिल रही ऑक्सीजन से जरूरत पूरी नहीं हो सकती, केंद्र सरकार को और भी तरह से मदद लिए सामने आना होगा. लिहाजा केंद्र सरकारी सुनिश्चित करें कि मरीजों को जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है वह उनको मिले क्योंकि यह राइट टू लाइफ का सवाल है. कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो स्टील और पैट्रोलियम इंडस्ट्री को दी जाने वाली पूरी ऑक्सीजन अस्पतालों में भेजी जाए. इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले वाहनों को ग्रीन कॉरिडोर दिया जाए या अगर जरूरत हो तो उनको हवाई मार्ग से पहुंचाया जाए.
केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली सरकार की तरफ से जो अतिरिक्त ऑक्सीजन की मांग की गई थी वह फिलहाल पूरी हो गई है. इसी बीच जब कोर्ट को जानकारी मिली कि केंद्र सरकार ने उन स्टील और पेट्रोलियम कंपनी को दी जाने वाली ऑक्सीजन अस्पतालों को भेजने को कहा है जो बाहर से ले रही थीं, जबकि जो अपना उत्पादन कर रही थी उन्हें ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने को लेकर छूट दे दी है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतनी संवेदनशीलता कैसे दिखाई जा सकती है. सरकार जमीनी हकीकत से कैसे आंख मूंद सकती है. हम लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते.
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर टाटा अपनी स्टील प्लांट की ऑक्सीजन लोगों के लिए उपलब्ध करवा सकती है तो बाकी स्टील प्लांट क्यों नहीं यह तो लालच की हद है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक-दो हफ्ते के लिए अगर इंडस्ट्री को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो वह आगे चल सकती हैं, लेकिन अगर इंसान को ऑक्सीजन नहीं मिली तो वह आगे नहीं बढ़ सकता. ऐसा लगता है कि सरकार के लिए इंसानी जिंदगी महत्वपूर्ण नहीं है. इस बीच कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह स्टील प्लांट द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन को पूरी तरह से अधिग्रहित करें और जरूरत अनुसार अस्पतालों तक पहुंचाएं. इस बीच हाईकोर्ट ने स्टील प्लांटस को भी निर्देश दिया कि वह अपने उत्पन्न हो रही ऑक्सीजन को केंद्र सरकार को दें.
कोर्ट ने कहा कि हमने कल आदेश जारी किया था जिसमें कहा था कि पेट्रोलियम और स्टील प्लांट के द्वारा इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन पर रोक लगनी चाहिए और उसका इस्तेमाल अस्पतालों में होना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने स्टील प्लांट जो अपना ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं उनको छूट दे दी. कोर्ट ने कहा कि हमको जानकारी मिली है कि ऑक्सीजन की खपत 5 गुना बढ़ चुकी है. हमको हजारों लोगों की जान देखनी है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे अभी भी कई अस्पताल हैं जिनके पास ऑक्सीजन की कमी है, लेकिन वह कोर्ट तक नहीं पहुंचे हैं. लिहाजा यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करें कि ऑक्सीजन कि कहीं कमी ना हो.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी दी गई कि मैक्स अस्पताल पटपड़गंज को ऑक्सीजन पहुंच गई है और उसकी दिक्कत दूर हो गई है, जिसके बाद कोर्ट ने गंगा राम अस्पताल के बारे में सवाल पूछा. कोर्ट ने कहा कि ठीक है अगर मैक्स अस्पताल की दिक्कत दूर हो गई है तो हम इस मामले की सुनवाई सुबह भी कर सकते हैं, लेकिन अभी हमको गंगाराम अस्पताल के बारे में जानकारी मिली है उसका क्या? दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम इस बात की गारंटी नहीं ले सकते कि सुबह तक वहां ऑक्सीजन चली जाएगी. इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा क्या दिल्ली में कोई ऐसी इंडस्ट्री नहीं है जहां ऑक्सीजन का उत्पादन होता है. जिस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा नहीं.
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