नयी दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक साल पहले हलफनामा देने के बावजूद भीख मांगने को अपराध की श्रेणी में शामिल करने और भिखारियों के पुनर्वास के लिए कानून में संशोधन नहीं करने पर केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया.
हाई कोर्ट ने कहा कि यह ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘बहुत आशाहीन’ स्थिति है कि महज़ 36 धाराओं वाले बंबई भीख रोकथाम एक्ट जैसे कानून में संशोधन को सरकार के विचार के लिए एक साल से अधिक समय लग गया.
अदालत ने उस समय नाखुशी जताई जब केन्द्र के वकील ने कहा कि उसे जानकारियां जुटाने के लिए दो और महीने का समय मांगने का निर्देश दिया गया है. हालांकि इस अनुरोध को पीठ ने ठुकरा दिया.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की बेंच ने कहा, ‘‘यह गरीब लोगों का अधिकार है. यह पीआईएल 2009 से लंबित है और यह बहुत छोटा मामला है. एक बिल का मसौदा तैयार करने में करीब आठ साल का वक्त लग गया.’’
पीठ ने कहा कि मसौदा बिल पेश करने के बजाय सरकार और समय मांग रही है.