दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा- अपना काम सही से नहीं कर सकते तो क्यों ना आपको निलंबित कर दिया जाए
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ड्रग कंट्रोलर की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने इस मामले में एक विस्तृत जांच की है. जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नेताओं और मददगारों द्वारा जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के मसले पर सुनवाई करते हुए ड्रग कंट्रोलर की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कई सख्त टिप्पणी की. इस दौरान कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर आप इस काम को सही से नहीं कर सकते तो आप को हटाकर किसी और को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. मामला बीजेपी सांसद गौतम गंभीर के पास कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली फैबिफ्लू दवा की बड़ी मात्रा में उपलब्धता से जुड़ा हुआ था.
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ड्रग कंट्रोलर की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने इस मामले में एक विस्तृत जांच की है. जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है. ड्रग कंट्रोलर की तरफ से कहा गया कि हमारे पास किसी को गिरफ्तार करने का या पकड़ने का अधिकार नहीं है. गौतम गंभीर को लेकर दायर की गई रिपोर्ट में कहा गया कि गौतम गंभीर फाउंडेशन ने 22 अप्रैल से लेकर 7 मई तक गर्ग अस्पताल की मदद से एक कैंप लगाया और गर्ग अस्पताल की तरफ से गौतम गंभीर फाउंडेशन को कोई प्रिस्क्रिप्शन नहीं दिया गया था बल्कि एक लेटर जारी किया गया था, जिसके आधार पर गौतम गंभीर फाउंडेशन ने दवा का इंतजाम किया. उसी लेटर के आधार पर यह दवा एक डीलर से खरीदी गई थी, ना कि रिटेलर से. ये दवा कैंप में आने वाले लोगों की जरूरत के हिसाब से मंगाई जा रही थी.
कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई भी डीलर इस तरीके से किसी भी खर्च के आधार पर किसी को भी दवा दे सकता है? जिसपर ड्रग कंट्रोलर के वकील ने कहा कि कायदे से पहले डॉक्टरों को मरीजों की जांच करने के बाद ही यह देखना चाहिए कि उनको दवा की जरूरत है या नहीं और बाद में दवा देनी चाहिए. ड्रग कंट्रोलर के वकील ने कहा कि इस तरह से हो सकता है कि कुछ जरूरतमंदों को दवा ना मिल पाई हो और उनकी जान चली गई हो.
दवा की जमाखोरी
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां पर एक शख्स ने बड़ी मात्रा में दवा की जमाखोरी की. ड्रग कंट्रोलर के वकील ने कहा कि जांच में पाया गया है कि जिस डीलर से गंभीर फाउंडेशन ने दवा मंगाई थी, उसके पास बड़ी मात्रा में दवा अन्य लोगों को भी सप्लाई करने के लिए थी. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप हमको यह मत बताइए कि दवा की कमी नहीं थी. दवा की बहुत कमी थी. आप इस तरह से रिपोर्ट की बातों को दरकिनार नहीं कर सकते.
कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा कि वह यह जांच करें और बताएं कि डीलर और ऐसी दवाओं की बिक्री को लेकर क्या नियम है. इस दौरान कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से पूछा कि एक लेटर के आधार पर इतनी बड़ी मात्रा में दवा किसी को कैसे दे दी गई? वह भी तब जब वह खुद डॉक्टर भी नहीं है. कोर्ट ने पूछा कि क्या गौतम गंभीर फाउंडेशन के पास इसका लाइसेंस है? ड्रग कंट्रोलर ने जवाब दिया नहीं. जिसके बाद कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा कि हम आपकी इस रिपोर्ट को खारिज करते हैं क्योंकि इसमें कुछ नहीं है. कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि ऐसे वक्त में जब दवा की किल्लत थी, एक अस्पताल में एक फाउंडेशन को इस तरीके का लेटर कैसे जारी कर दिया?
ड्रग कंट्रोलर की भूमिका
कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि जिस तरह से इस मामले में ड्रग कंट्रोलर की भूमिका है, वह भी सवालों के घेरे में है कि आखिर जब दवाई की किल्लत थी तो वह क्या कर रहे थे क्योंकि इस मामले में बड़ी मात्रा में एक फाउंडेशन ने दवा खरीदी और उसका डीलर को सीधा पेमेंट किया गया. कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि अगर कोई दवा खरीद भी सकता था तो वह डॉक्टर था. जिसके बाद हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को कोर्ट में बुलाने की बात कही. कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि अगर गौतम गंभीर फाउंडेशन ने एक साथ दवा खरीद नहीं की तो आखिर 8 मई के बाद भी इनके पास 244 पत्ते कैसे बचे रहे.
इस पर ड्रग कंट्रोलर के वकील ने कोर्ट से दो-तीन दिन की और मोहलत मांगी है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हाल तब है जब लोगों को इधर-उधर भटकने के बाद भी दवा नहीं मिल रही थी और एक फाउंडेशन को इतनी बड़ी मात्रा में दवा उपलब्ध करवाई जा रही थी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे तो कोई भी किसी भी अस्पताल में डॉक्टर का लेटर लेकर जाए और डीलर से दवा ले ले... यह सही नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि अगर यही तरीका है तो हम आपको (ड्रग कंट्रोलर को) निलंबित कर देते हैं. कोई और यह जिम्मेदारी संभाल लेगा. वकील ने कहा कि अगर दवा इतनी बड़ी मात्रा में उपलब्ध थी तो आखिर दुकानों पर वह क्यों नहीं मिल रही थी? याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि अगर मरीजों की जरूरत के हिसाब से दवा मंगाई जा रही थी तो कैंप खत्म होने के बाद भी इनके पास 244 स्ट्रिप्स कैसे बची रही और ये तब होता रहा जब लोगों को दुकानों पर भटकने के बावजूद दवा नहीं मिल रही थी.
सजा भुगतने को तैयार
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि गौतम गंभीर ने कहा कि अगर उन्होंने कोई गलती की है तो वह सजा भुगतने को तैयार है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कुछ लोगों को यह फायदा कैसे मिल रहा था. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ड्रग कंट्रोलर ऐसी रिपोर्ट दायर कर हमारी आंखों में धूल न झोंके. ड्रग कंट्रोलर के वकील ने कहा कि वैसे भी अभी यह कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं है. यह शुरुआती रिपोर्ट है. हाइकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने अपनी जांच में यह तक नहीं देखा कि क्या यह कानूनन सही था कि एक डीलर एक फाउंडेशन को इतनी बड़ी मात्रा में दवा सप्लाई कर रहा था.
कोर्ट के सामने पेश हुए असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि हम इस बाबत एक विशेष रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करेंगे. कोर्ट ने कहा कि आपको देखना होगा कि आखिर एक ड्रग डीलर ने एक फाउंडेशन को एक अस्पताल के लेटर पर इतनी बड़ी मात्रा में लोगों में जरूरत की दवाई कैसे दे दी. गौतम गंभीर के साथ दिल्ली हाईकोर्ट में आम आदमी पार्टी विधायक प्रीति तोमर और प्रवीन कुमार के पास ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचने के मामले पर भी सुनवाई हुई.
इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने कहा कि एक जगह प्रवीन कुमार एक वीडियो में कह रहे हैं कि उन्होंने लोगों को 400 से 500 ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराए तो दूसरे वीडियो में कह रहे हैं कि करीब 2000 ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल किए. जबकि नियम यह था कि कोई भी ऑक्सीजन सप्लाई किसी को भी सीधे नहीं करेगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप इस बारे में सारी जानकारी ड्रग कंट्रोलर को दीजिए.
विश्वास कम हुआ
इसी बीच कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा कि आपकी इस तरह की रिपोर्ट देखकर हमारा आप पर से विश्वास कम हो गया है. अभी आपको देखना है कि आप किस तरह से उस विश्वास को हासिल करते हैं. 'आप' विधायक प्रीति तोमर के वकील ने सफाई देते हुए कहा कि उस दौरान पूरी कॉलोनी सील थी. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को उनके दफ्तर का पता मालूम था. इस वजह से कहा गया कि पीडब्ल्यूडी का ट्रक उनके दफ्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर उतार दे और बाद में उन्हें सिलेंडर को जिन अस्पतालों में जाना था, वहां भेज दिया गया. जिसके बाद कोर्ट ने प्रीति तोमर मामले पर दायर ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट को स्वीकार किया.
वहीं गौतम गंभीर और प्रवीन कुमार मामले पर ड्रग कंट्रोलर से मामले की जांच आगे बढ़ाने को कहा और नई स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दायर करने को कहा. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गौतम गंभीर फाउंडेशन ने एक लेटर के आधार पर इतनी बड़ी मात्रा में लोगों के जरूरत की दवा कैसे इकट्ठा कर ली. कोर्ट ने कहा इस मामले पर नई स्टेटस रिपोर्ट बुधवार यानी 3 जून को कोर्ट के सामने पेश की जाए और उसी दिन इस मामले की अगली सुनवाई की जाएगी.