Delhi IGI Airport New Full Body Scanner : दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Delhi International Airport Ltd -DIAL ) पर उड़ान भरने से पहले की जाने वाली जांच अब अधिक सुरक्षित और शरीर को कम नुकसान पहुंचाने वाली होगी. इसके लिए आईजीआई (IGI) ने स्वचालित फुल-बॉडी स्कैनर (Automated Full-Body Scanners ) का ट्रायल शुरू कर दिया है. अमेरिकी रक्षा, विमानन और सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी लीडोस (American Defence Aviation And Information Technology Company Leidos) की बनाई यह मशीन एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 (Terminal 2) की सुरक्षा जांच (Security Check) वाले हिस्से में लगाई गई है.
कब तक चलेगा फुल बॉडी स्कैनर का ट्रायल
डीआईएएल (DIAL) जो जीआरएम के नेतृत्व वाला कंसोर्टियम (GMR-led consortium) है और हवाई अड्डा चलाता वह नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (Bureau of Civil Aviation Security- BCAS) के निर्देशों के तहत फुल बॉडी स्कैनर को एयरपोर्ट पर लगाएगा. डीआईएएल (DIAL) के सीईओ (CEO) विदेह कुमार जयपुरियार (Videh Kumar Jaipuriar) के मुताबिक,ये ट्रायल 45-60 दिनों तक चलेगा. ट्रायल के कामयाब होने पर नतीजों के मूल्यांकन के बाद इन स्कैनर्स को बीसीएएस की गाइडलाइन्स के तहत एयरपोर्ट पर लगाया जाएगा.
कोविड-19 और स्कैनर की कीमतों ने लगाया ब्रेक
गौरतलब है कि साल 2019 में ही बीसीएएस (BCAS) ने एक साल के अंदर देश भर के 84 हवाई अड्डों पर इन स्कैनरों को लगाने के लिए कहा था, लेकिन कोविड -19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की वजह से इस काम में बहुत बड़ी बाधा आई. इस वजह से अधिकांश हवाईअड्डे इन स्कैनर्स को लगाने की इस समय सीमा से चूक गए. इसके साथ ही इस स्कैनर की कीमत भी एक मुद्दा रही. आईजीआई (IGI) एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 (Terminal 2) की सुरक्षा जांच (Security Check) वाले हिस्से में लगाए गए इस स्कैनर की कीमत चार से छह हजार करोड़ रुपये है. जबकि एयरपोर्ट पर लगे डोर फ्रेम मेटल डिक्टेटर (Door Frame Metal Detectors) की कीमत 50 से 80 हजार रुपये के करीब है.
कैसे करता है ये स्कैनर काम
फुल-बॉडी स्कैनर में धातु और गैर-धातु दोनों वस्तुओं का पता लगाने के लिए मिलीमीटर तंरग तकनीक (Wave Technology ) का इस्तेमाल होता है.मिलीमीटर तरंगें माइक्रोवेव बैंड के ऊपरी सिरे पर विद्युत चुम्बकीय (Electromagnetic) तरंगें होती हैं, जो 30-300 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) की बेहद उच्च आवृत्ति (Extremely High Frequency- EHF) ईएचएफ रेंज में होती हैं.
यह मिलीमीटर तरंगें आम कपड़ों के मैटेरियल से आसानी से पार हो जाती है. इस वजह से इनके जरिए किसी भी छिपी हुई वस्तु को आसानी से देखा जा सकता है. इसमें एक इमेजिंग सिस्टम (Imaging System) परावर्तित वेवफ्रंट का इस्तेमाल मॉनिटर पर त्रि-आयामी (Three-Dimensional ) तस्वीर बनाने के लिए करता है, जो छिपी हुई वस्तु के आकार-प्रकार को आसानी से दिखा देता है.
डीआईएएल के मुताबिक, ये स्कैनर गैर-धातु वस्तुओं जैसे कि नशीले पदार्थों, प्लास्टिक विस्फोटकों और रबर जैसे पदार्थों से बनी निषिद्ध या अवैध वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम होंगे जिनका मेटल डिटेक्टरों से पता नहीं लगाया जा सकता है. इसके साथ ही स्कैनर शरीर के अंदरूनी अंगों में छिपी वस्तुओं के आकार- आकृति ( Size- Shape) और स्थान का भी पता लगाएंगे.
हवाई यात्रियों के लिए है सुविधाजनक
डीआईएएल के अधिकारियों के मुताबिक, यात्री को कांच के फ्रेम वाली मशीन में प्रवेश करना होगा और अपनी बाहों को ऊपर उठाना होगा. मिलीमीटर वेव स्कैनर (Millimetre Wave Scanners) में लगे दो एंटिना आमतौर पर एक साथ तरंगों को प्रसारित करते हैं क्योंकि मशीन का फ्रेम यात्री के चारों ओर घूमता है. स्कैन से पता चलने वाली किसी भी अवैध वस्तु को स्क्रीन मॉनिटर करने वाले अधिकारी आसानी से साफ देख पाएंगे. यदि कोई खतरा नहीं पाया जाता है, तो यात्री सुरक्षा होल्ड एरिया से आगे भेज दिया जाएगा.
अधिकारियों ने बताया है कि यह मशीन शरीर को स्कैन कर सकती है और छह सेकंड से भी कम वक्त में स्क्रीन पर नतीजे दे सकती है. इस मशीन में प्रति घंटे लगभग 200-300 लोगों को जांच सकने की क्षमता है. एयरपोर्ट पर होने वाली मौजूदा जांच के दौरान यात्रियों को मेटल डिटेक्टर को ट्रिगर करने वाले अपने जेवर, जूते, बेल्ट, फोन, उपकरण और किसी भी अन्य वस्तुओं को हटाना पड़ता है.
नए मिलीमीटर वेव स्कैनर की जांच में यात्री बगैर कुछ निकाले मशीन में जांच के लिए जा सकते हैं. एक अधिकारी के मुताबिक- एक बार यात्रियों को मशीन लग जाने के बाद किसी भी तरह की शारीरिक तलाशी या कपड़े उतारने की जरूरत नहीं होगी. यह स्कैनर सुरक्षा जांच में तेजी लाएगा. अब मेटल डिटेक्टरों (Metal Detectors) का इस्तेमा विशेष श्रेणी के यात्रियों जैसे व्हीलचेयर से चलने वाले व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों या स्कैनर से नहीं गुजरने वाले लोगों के लिए ही किया जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि ट्रायल के दौरान यात्रियों, सुरक्षा कर्मियों, डीआईएएल और बीसीएएस की प्रतिक्रियाएं दर्ज की जा रही हैं.
यात्रियों की हेल्थ के लिए मुफीद
अधिकारियों ने बताया कि नया बॉडी स्कैनर यात्रियों के लिए एक सुरक्षित विकल्प होगा क्योंकि इसमें एक्स-रे या आयनकारी विकिरण (Ionizing Radiation ) का इस्तेमाल नहीं होता. बीसीएएस ने माना है कि हानिकारक एक्स-रे विकिरण से बचने के लिए मिलीमीटर-वेव तकनीक इस्तेमाल होना चाहिए. लीडोस (Leidos) के मुताबिक, मशीन के सिग्नल सेल फोन वायरलेस हैंडसेट की तुलना में 1,000 गुना कम शक्तिशाली होते हैं.
इसे परिवहन सुरक्षा प्रशासन (Transport Security Administration-TSA) ने अनुमोदित किया है. यह इसे संयुक्त स्टेट्स (United States) के सभी हवाई अड्डों पर लगाया गया है. हालांकि अधिकारियों ने इस अमेरिकी कंपनी से यात्रियों की निजता के संभावित उल्लंघन संबंधी चिंताओं को दूर करने की मांग की है. इस पर कंपनी ने कहा है कि यह एक संपर्क रहित प्रक्रिया है जो व्यक्ति की तस्वीर नहीं खींचती है बल्कि यह केवल अपनी स्क्रीन पर एक सामान्य पुतले की आकृति पर (Generic Mannequin Figure) पर "खतरों" को उजागर करती है.
उधर दूसरी तरफ एक्स-रे मशीनों के मामले में ऐसी रिपोर्ट्स थीं कि यात्रियों की गोपनीयता संबंधी चिंताओं का दरकिनार करते हुए इसमें शरीर की "साफ तस्वीर " बनाई जा रही थी. डीआईएएल के सीईओ जयपुरियार ने कहा, “नागरिक उड्डयन में बचाव और सुरक्षा सभी के लिए चिंता का एक प्रमुख विषय है. एक एयरपोर्ट ऑपरेटर के रूप में, DIAL इससे समझौता किए बगैर यात्रियों के लिए प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है. CISF जबरदस्त काम कर रही है. अब, हमने हवाई अड्डे पर एक उन्नत फुल बॉडी स्कैनर (Full-Body Scanners) लगा दिया है. यह सुरक्षा जांच के दौरान यात्रियों की गोपनीयता का ख्याल रखता है और उनकी सेहत पर शायद ही कोई इससे कोई बुरा असर हो.
ये भी पढ़ें:
Delhi News: इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 34500 डॉलर की तस्करी का मामला, एक शख्स गिरफ्तार