दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर डॉक्टरों द्वारा घर में ही रहने की सलाह दी जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में श्वसन स्वास्थ्य संबंधित मामलों में चार से पांच गुना इजाफा देखा गया है. इनमें अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के लक्षणों के तेज होने की शिकायत मिली है.


श्वसन संबंधी बीमारियां और बढ़ सकती हैं


गौरतलब है कि अगर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर अधिक बना रहता है, तो श्वसन संबंधी बीमारियां और बढ़ सकती हैं, जिससे संकट की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि अस्पताल पहले ही कोविड -19 के प्रकोप के कारण मरीजों की भीड़ से पस्त हैं. प्रदूषण के बढ़ते स्तर और तापमान में गिरावट के कारण सिरदर्द, मूड स्विंग्स और डिप्रेशन जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आ रही हैं. लोग शिकायत कर रहे हैं कि घर से बाहर निकलने पर आंखों मे जलन और पानी की समस्या हो रही है. कईं लोगों को लगातार छींकें आ रही है.


कईं बातों का ध्यान रखना है बेहद जरूरी


वहीं बढ़ते प्रदूषण से परेशान लोग अब एयर प्यूरिफायर भी खरीद रहे हैं. हालांकि वायु प्रदूषण से संबंधित समस्याओं से निपटने में डिवाइस की भूमिका पर बहस चल रही है. डॉक्टरों का कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि फसल जलने की जाँच की जाए, वाहनों के उत्सर्जन को कम किया जाए और सड़कों को धूल-मिट्टी से मुक्त रखा जाए तभी वायु प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी.


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