नई दिल्ली: बिजनेसमैन बनकर न्यूज रिपोर्टर्स के नाम पर रक्षा क्षेत्र के लोगों से देश की रक्षा-सुरक्षा की जानकारी इकठ्ठा करते थे पाकिस्तानी हाई कमीशन के वो दोनों आरोपी वीजा-अधिकारी, जिन्हें जासूसी नेटवर्क के भंडाफोड़ होने के बाद देश से निकाल दिया गया है. इसके लिए वो दोनों सेना और रक्षा-क्षेत्र से जुड़े लोगों को एक गोपनीय सूचना देने के लिए 25 हजार रूपये कैश या फिर आई-फोन जैसे कीमती गिफ्ट दिया करते थे.


आईएसआई से आबिद को पैसे फोन-वॉलेट जैसे पेटीएम के जरिए आते थे अपने संपर्क-सूत्रों को देने के लिए. गिरफ्तारी के वक्त उनके पास से दो आई-फोन के अलावा 15 हजार रूपये कैश भी मिले थे.


मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई) के विश्वसनीय सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि दोनों आरोपी वीजा-अधिकारी पिछले काफी समय से एमआई के रडार पर थे. इस बारे में एमआई को लगातार सूचना मिल रही थी कि राजधानी दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाईकमीशन के कुछ अधिकारी आईएसआई और दूसरी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए काम कर रहे हैं.‌ खासतौर से दो वीजा-अधिकारियों को भारत और राजधानी दिल्ली में अपने नेटवर्क को बढ़ाने की जिम्मेदारी मिली है.‌


ये दोनों अधिकारी थे, आबिद हुसैन और ताहिर खान. सूत्रों के मुताबिक, आबिद हुसैन (उम्र 42 साल) पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का जासूस है. वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का रहने वाला है और अच्छी पंजाबी जानता है. वो दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में ट्रेड डिपार्टमेंट में अस्सिटेंट के तौर पर काम कर रहा था. उसका साथी ताहिर (44 साल) पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद का रहने वाला है और फिलहाल उच्चायोग में क्लर्क था. दोनों ही वीजा देने वाले डिपार्टमेंट से जुड़े थे. लेकिन, सूत्रों की मानें तो दोनों का असली काम भारत में रहकर आईएसआई के लिए जासूसी करना था.


आपको बता दें कि रविवार को मिलिट्री इंटेलीजेंस यानी एमआई के इनपुट पर पाकिस्तानी हाई कमीशन से ऑपरेट हो रहे एक बड़े जासूसी नेटवर्क का दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भंडाफोड़ किया था. इस मामले में हाई कमीशन के दो अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया है, जबकि हाई कमीशन के एक ड्राइवर को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में गिरफ्तार किया गया है.


गिरफ्तार हुए ड्राइवर का नाम जावेद अख्तर (36 साल) है जो पाकिस्तान के मियांवाली का रहने वाला है. जावेद ही दोनों आरोपी वीजा अधिकारियों को राजधानी दिल्ली में अपनी गाड़ी में ले जाता था. रविवार को गिरफ्तारी के वक्त भी जावेद उन दोनों अधिकारियों के साथ करोल बाग में मौजूद था. आबिद और ताहिर को हालांकि पर्सोना-नॉन-ग्रेटा घोषित कर दिया गया है और देश छोड़ने के लिए कह दिया गया है. जबकि जावेद को स्पेशल सेल ने ऑफिशियल सीक्रे एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है.


एमआई के सूत्रों के मुताबिक आबिद और ताहिर भारत के सैनिकों और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपने जाल में फंसाने का काम करते थे. आबिद अपने आप को अमृतसर का बिजनेसमैन बताकर सैन्य और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों से मिलता था और ताहिर 'न्यूज-रिपोर्टर्स' के लिए जानकारी इकठ्ठा करने के नाम से गोपनीय और संवेदनशील जानकारियां जुटाता था. एक सूचना देने के बदले में ताहिर और आबिद इन लोगों को 25 हजार रूपये कैश या फिर आई-फोन जैसे कीमती गिफ्ट दिया करते थे.


जानकारी के मुताबिक, रविवार को जब करोल बाग इलाके से ताहिर और आबिद को धर-दबोचा गया तभी उनके पास दो ब्रांड-न्यू आईफोन मिले थे. इनमें से एक फोन उन्हें अपने उस संपर्क-सूत्र को गिफ्ट करना था, जिससे मिलने के लिए दोनों जावेद के साथ करोल बाग आए थे.


सूत्रों के मुताबिक, इसी साल फरवरी के महीने में आबिद और ताहिर का करोल बाग के रेस्टोरेंट में बाकायदा एमआई के अधिकारियों ने स्टिंग-ऑपरेशन तक किया था. उसी दौरान दोनों की तस्वीर और और एक वीडियो बनाया गया था. तस्वीर में आबिद और ताहिर दोनों रेस्टोरेंट की अलग अलग टेबल पर बैठे नजर आ रहे हैं.


इस नेटवर्क के भंडाफोड़ करने के लिए एमआई ने इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की मदद ली. पूछताछ में पता चला है कि आबिद और ताहिर कई डिफेंस-पर्सनल से संपर्क में थे. एमआई अब उन सभी लोगों का डाटा खंगाल रही है, जो आबिद और ताहिर के संपर्क में थे.