दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में एमसीडी की कार्रवाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार 21 अप्रैल को अहम सुनवाई होगी. इससे पहले बुधवार 20 अप्रैल की सुबह से लेकर रात तक यही मामला सुर्खियों में रहा. सुबह होते ही जहांगीरपुरी में एमसीडी के बुलडोजर पहुंच गए और अवैध निर्माण पर कार्रवाई शुरू हो गई. इस मामले पर राहुल गांधी से लेकर ओवैसी तक ने सरकार को घेरने का काम किया, वहीं बीजेपी की तरफ से भी मोर्चा संभाला गया. यहां जानिए इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ. 


सुप्रीम कोर्ट में होगी अहम सुनवाई
जहांगीरपुरी इलाके में एमसीडी की कार्रवाई को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट अहम सुनवाई करने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच इस मामले को सुनेगी. कई याचिकाकर्ताओं ने इस कार्रवाई को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में देशभर में चल रही बुलडोज़र कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर भी सुनवाई होगी. 


राजनीतिक बवाल हुआ शुरू
जहांगीरपुरी में हिंसा को लेकर पहले से ही जमकर राजनीति हो रही थी, लेकिन एमसीडी की कार्रवाई ने आग में घी डालने का काम कर दिया. बुलडोजर से हुई इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. तमाम बड़े विपक्षी दलों की तरफ से घटना की निंदा की गई और बीजेपी पर आरोप लगाया गया कि वो संविधान से खिलवाड़ कर रही है. दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी ने इसे बीजेपी की साजिश बताया और कहा कि बीजेपी मुख्यालय पर ही बुलडोजर चला देना चाहिए. 


राहुल गांधी बोले - संविधान पर चला बुलडोजर
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बुलडोजर से मकान नहीं, बल्कि देश के संविधान को ध्वस्त किया जा रहा है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘नफरत के बुलडोजर’ को रोका जाए. उनके अलावा कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि, दिल्ली, भाजपा-आम आदमी पार्टी की नफरत की नयी प्रयोगशाला बन चुकी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का मौन कहीं ना कहीं उनकी सहमति है, वहीं दिल्ली में विफल रही कानून-व्यवस्था की जिम्मेदार केंद्र सरकार है. हम सबको मिलकर इस नफरत के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए.


ओवैसी को मौके पर जाने से रोका 
कांग्रेस के अलावा एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी बीजेपी पर जमकर बरसे. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो मुस्लिमों और गरीबों को निशाना बना रही है. इसके अलावा ओवैसी खुद जहांगीरपुरी के लिए निकले थे लेकिन पुलिस ने कथित तौर पर उन्हें रोक दिया. ओवैसी हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जहांगीरपुरी में भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. हालात फिलहाल तनावपूर्ण हैं, इसीलिए ओवैसी को नहीं जाने दिया गया. इसके बाद ओवैसी ने कहा कि, आप कह रहे हैं कि वे रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं. मैं इसकी निंदा करता हूं. उन्होंने नगर निगम के इस अभियान को बिना विधिक प्राधिकार के कानून लागू करने का उदाहरण करार दिया और इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की. 


बीजेपी नेताओं ने किया सरकार का बचाव
विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देने के लिए बीजेपी नेता भी मैदान में उतरे. उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए विपक्ष पर ही निशाना साधा और उन्हें हताश बताया. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि इस मामले में विपक्षी दलों की ओर से की जा रही राजनीति दुखद है. उन्होंने आरोप लगाया कि साल 2014 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के तहत करीब-करीब हर मुद्दे को धर्म से जोड़ती रही हैं. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, गिरिराज सिंह और अन्य कई नेताओं ने पार्टी का बचाव किया. 


एमसीडी ने क्या दिया जवाब?
दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में अपनी कार्रवाई को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की तरफ से इसे लेकर सफाई दी गई है. एमसीडी की तरफ से इसे एक नियमित कवायद बताया गया, जिसमें लगभग दो किलोमीटर के क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया. एनडीएमसी ने कहा कि इसी क्षेत्र से इस साल 11 अप्रैल को भी अतिक्रमणकारियों को हटाया गया था. आधिकारिक बयान में नगर निगम ने कहा कि उसके अधिकारियों ने भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की उपस्थिति में 7 जेसीबी मशीनों / बुलडोजर की मदद से फुटपाथ पर से अस्थायी ढांचों को हटाया. 


हनुमान जयंती पर हुई थी हिंसा
बता दें कि हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में शोभायात्रा निकाली गई थी, जिसमें अचानक हिंसा भड़क गई. इस हिंसा को लेकर दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए. वहीं पुलिस ने 25 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. मामले के 5 मुख्य आरोपियों के खिलाफ एनएसए भी लगाया गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस हिंसा को लेकर पुलिस को निर्देश जारी कर कहा था कि, ऐसी सख्त कार्रवाई की जाए कि दंगाई फिर कभी हिंसा करने के बारे में न सोचें. इस हिंसा के कुछ ही दिन बाद बीजेपी शासित एमसीडी की तरफ से हिंसा प्रभावित इलाके में विध्वंस की कार्रवाई की गई. जिससे विवाद और बढ़ गया. अब फिलहाल सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं. 


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