दिल्ली के जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी मोहम्मद अंसार को लेकर देशभर में बहस छिड़ी है. कोई उसे बेगुनाह बता रहा है तो कोई हिंसा के लिए उसे ही जिम्मेदार ठहरा रहा है. एबीपी के खुफिया कैमरे में जहांगीरपुरी हिंसा का सच सामने आया है. छिपे हुए कैमरे में चश्मदीद जहांगीरपुरी हिंसा में मुख्य आरोपी बनाए गए अंसार की कहानी सुना रहे हैं. मुस्लिम पक्ष ये मानता है कि जहांगीरपुरी हिंसा में मोहम्मद अंसार को फंसाया गया है. एबीपी न्यूज की टीम ने जब मुस्लिम पक्ष से अंसार को लेकर राय जानने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने कहना था कि अंसार नेकदिल इंसान है. वो तो मोहल्ले में फेमस है. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों का कहना है कि अंसार तो झगड़ा रोकने की कोशिश कर रहा था और उल्टा उसे ही फंसा दिया गया.
चश्मदीदों की जुबानी जहांगीरपुरी हिंसा की कहानी
एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने जब मुस्लिम पक्ष से सवाल करते हुए पूछा कि सुनने में आया है कि अंसार का पुलिस से भी ठीक-ठाक रिश्ता है. इस पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने कहा कि अंसार तो झगड़ा रोक रहा था लेकिन वो खुद ही इसका शिकार हो गया. उसे ही पकड़ लिया गया. मुख्य आरोपी बना दिया गया. मुस्लिम पक्ष के लोगों ने कहा कि वो रेहड़ी पटरी लगवाकर गरीबों की मदद करता है. किसी की मोबाइल की दुकान, तो किसी की समोसे की दुकान है. जिन लोगों ने उसका नाम लिया वो लोग दो नंबरी काम करने वाले लोग हैं.
अंसार को फंसाया गया- मुस्लिम पक्ष
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वो तो झगड़ा रोक रहा था. कुछ लोगों की उससे बहस हुई होगी तो उसने अंसार का ही नाम ले लिया होगा. वो तो बचाने की सजा भुगत रहा है. वो खुद ही थाने गया था. वो विक्टिम है. कुछ लोगों की साजिश से उसे ही मुख्य आरोपी बना दिया गया. वो तो गरीबों की मदद करने वाला आदमी है.
अंसार मासूम नहीं- हिंदू पक्ष
वहीं एबीपी के कैमरे में दोनों पक्षों का दावा रिकॉर्ड किया गया. हिंदू पक्ष का कहना है कि मोहम्मद अंसार मासूम नहीं है और वो ही इस हिंसा के लिए जिम्मेदार है. हिंदू पक्ष के चश्मदीदों ने बताया कि वो दो नंबर का काम करता है. सट्टा और वसूली का उसका धंधा है. हमारे पास एक भी अंगूठी नहीं है और अंसार के पास मोटे-मोटे चेन और अंगूठी है. रिपोर्टर ने जब ये सवाल किया कि वो इतना अमीर कैसे हो गया तो कुछ लोगों ने कहा कि वो लोगों को डराकर पैसे लेता है. हर जगह से कमीशन लेता है. ठेके से भी वसूली करता है. लोगों की मदद के पीछे उसका स्वार्थ है. उसकी राजनीतिक महात्वाकांक्षा भी है.
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