Jahangirpuri Case: सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), AICCTU, AISA, फॉरवर्ड ब्लॉक, भाकपा और अन्य वामदलों ने जहांगीरपुरी हिंसा पर अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, वाम दलों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 17 अप्रैल 2022 को जहांगीरपुरी-सी ब्लॉक के सांप्रदायिक हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाके में दोपहर से ही हथियारों के साथ 150- 200 लोग जुलूस निकाल रहे थे. ये स्थानीय लोग नहीं, बल्कि बजरंग दल के कार्यकर्ता थे. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के सामने जुलूस रोककर नारेबाजी और हंगामा किया गया, जिसके बाद माहौल बिगड़ना शुरू हुआ.
वामदलों ने पुलिस पर उठाए हैं सवाल
वामदलों ने पुलिस पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा कि जुलूस को मस्जिद पर पुलिस ने रुकने क्यों दिया गया? मस्जिद के ठीक बाहर नारे लगाने की अनुमति क्यों दी गई? एक सशस्त्र जुलूस को मस्जिद के बाहर नारे लगाते हुए रुकने दिया जाता है, ठीक उसी समय जब रोजा खत्म होना है और जब मुसलमानों की भीड़ जमा हो गई थी. अगर इन घटनाओं को एक साजिश के रूप में विश्लेषित किया जाए, यह वह साजिश है, जिसमें पुलिस खुद जिम्मेदार है. वामदलों ने पूरी घटना में जिम्मेदार पुलिस वालों की जांच और उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई की गृह मंत्रालय से मांग की है.
वहीं, दिल्ली की जहांगीरपुरी में हुई हिंसा को लेकर एक पक्ष दूसरे पर लगातार आरोप लगा रहा है. जहांगीरपुरी के सी-ब्लॉक में जिस मस्जिद के पास हिंसा हुई उस मस्जिद के सचिव हाफिज सलाउद्दीन का दावा है कि हिंसा की शुरुआत शोभा यात्रा में शामिल लोगों ने की. उनका ये भी दावा है कि हिंसा के दौरान मस्जिद पर पत्थरबाजी भी की गई.
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