नई दिल्लीः जामिया विश्विद्यालय की लाइब्रेरी के अंदर की फुटेज वायरल होने के बाद से पुलिस पर जहां एक ओर बर्बरता का आरोप लगाया जा रहा है तो वहीं छात्रों पर भी यह संदेह जताया जा रहा है कि कुछ छात्रों ने या बाहर के लोगों ने पुलिस पर पथराव किया था, जिसके बाद वे कैंपस के अंदर दाखिल हुए थे और पुलिस उनका पीछा करते हुए पहुंची थी. लेकिन छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने बगैर किसी जांच पड़ताल के छात्रों पर लाठियां भांजी, जबकि छात्र किसी किसी तरह के उपद्रव में शामिल नहीं थे.


एबीपी न्यूज़ ने ऐसे ही एक और छात्र को तलाशा है, जो सीसीटीवी फुटेज में पुलिस की लाठियां खाता दिखाई दे रहा है और फिर खुद को बचाने के लिए बेंच के नीचे घुस जाता है. छात्र का नाम है हुजैफा, जो बीए एलएलबी सेकंड ईयर का छात्र है. मूल रूप से गोंडा, यूपी का रहने वाला हुजैफा ने फिरत ईयर में टॉप किया था.


हुजैफा का दावा है कि फुटेज में दिख रहे छात्रों में से एक छात्र वह भी है, जो लाइब्रेरी के पिछले हिस्से में एक कुर्सी पर बैठा हुआ है. तभी अचानक से कुछ पुलिसकर्मी वहां पहुंचते हैं और वहां मौजूद छात्रों पर लाठियां बरसानी शुरु कर देते हैं. हुजैफा खुद को बचाने के लिए डेस्क के नीचे बैठ जाता है.


क्यों और कैसे लाइब्रेरी पहुंचा था हुजैफा


हुजैफा से जब हमने बात की तो उसने बताया कि 15 दिसंबर को वह अपने दोस्तों के साथ कैंपस के अंदर ही मौजूद था. शाम लगभग 5 - 5:15 का समय था. वह अपने दोस्त के साथ चाय और सैंडविच का मजा ले रहा था. अचानक से बाहर अफरा-तफरी का माहौल बन गया.


पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले दागे जाने लगे. धुंए की वजह से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. कैंपस में जो भी छात्र मौजूद थे, सभी इधर-उधर भागने लगे. मैं भी अपने दोस्तों के साथ लाइब्रेरी में पहुंचा और फर्स्ट फ्लोर पर जो एमफिल वाली लाइब्रेरी है, वहां पहुंच गया. मैंने एक बुक ली और मैं पिछली सीट पर जाकर बैठ गया था.


तभी कुछ छात्रों ने लाइब्रेरी के गेट को अंदर से बंद कर दिया था. मैंने अभी किताब भी नहीं बोली थी कि अचानक पुलिस वाले दरवाजे को जोर जोर से खटखटाने लगी. थोड़ी देर में ही कुछ पुलिसकर्मी अंदर दाखिल हुए और उन्होंने छात्रों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी.


बगैर पुख्ता हुए किया लाठीचार्ज


पुलिस ने बगैर किसी जांच-पड़ताल के वहां बैठे छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया. यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि जो छात्र अंदर मौजूद हैं, वे कब और किन हालात में अंदर आये? क्या वे उपद्रव में शामिल थे या नहीं? मैंने पुलिस को अपना आई कार्ड भी दिखाया लेकिन फिर भी पुलिस ने एक नहीं सुनी. मेरा बस यही कहना है कि जो भी पुलिसकर्मी वहां पर मौजूद थे, उन्होंने पूछताछ के बगैर, वेरिफिकेशन की जरूरत न समझते हुए जो भी सामने आया उस पर लाठीचार्ज कर दिया.


मानवाधिकार आयोग में भी की है शिकायत


हम लोगों ने इस संदर्भ में यूनिवर्सिटी प्रशासन से शिकायत की थी. इसके अलावा एनएचसी में भी शिकायत दी गयी थी. एनएचआरसी ने हमारे बयान दर्ज किये हैं. आगे जांच चल रही है, देखते हैं क्या होता है.


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