नई दिल्ली: ये कहानी 28 साल की मेहरुन निशा की है जिसने समाज की रुढ़िवादी परंपरा को तोड़कर और बेटियों के साथ कदम-कदम पर लगाई जाने वाली बंदिशों से बाहर निकलकर खुद के लिए नई दुनिया आबाद की है.


देश की राजधानी दिल्ली में जहां चार साल पहले निर्भया को दरिंदों ने अपना शिकार बनाया था, उसी दिल्ली में मेहरुन निशा एक नई कहानी गढ़ रही हैं. 28 साल की मेहरुन निशा यूपी के सहारनपुर जिले से ताल्लुक रखती हैं और दिल्ली में बतौर बाउंसर काम करती हैं. महिलाओं को जहां एक तरफ घर की चहारदीवारियों की कैद में रहना पड़ता है, वहीं मेहरुन निशा का यह काम महिलाओं के ताकत और हिम्मत की एक जीती जागती मिसाल है.


मेहरुन अपनी ड्युटी के दौरान इस बात का ख्याल रखती हैं कि रेस्टोरेंट में आने वाले लोग किसी भी तरह का हथियार लेकर अंदर ना आने पाएं और किसी भी तरह का हो हल्ला ना हो. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि जब शराब के नशे में कोई पुरुष मेल बाउंसर ने नहीं संभल रहा होता है तब वे जाकर उन्हें समझाती हैं. जिस दिल्ली की सड़को पर महिलाओं के साथ हर वक्त अनहोनी होने का खतरा मंडराता रहता है, उसी दिल्ली में मेहरुन देर रात 12.30 बजे तक काम करती हैं और कंपनी की गाड़ी उन्हें घर तक 1.30 बजे के आस पास छोड़ती है.


मेहरुन बताती हैं कि उनके कुछ पड़ोसी यह भी कहते हैं कि पता नहीं कहां जाती है और इतनी रात को क्या करती है. लेकिन इन सब बातों का मेहरुन पर कोई असर नहीं पड़ता. इतना ही नहीं मेहरुन शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, विद्या बालन और दीपिका पादुकोण जैसे बड़े सितारों के साथ काम कर चुकी हैं.


मेहरुन निशा एक मुस्लिम घराने से आती हैं, जहां महिलाओं पर बंदिशें अपेक्षा से ज्यादा हैं. अपने संघर्ष की कहानी बयां करते हुए वे बताती हैं कि यह काम पाना उनके लिए आसान नहीं था. बातचीत के दौरान मेहरुन ने बताया कि उनका वजन 80 किलो हुआ करता था, जिसे कम करने के लिए उन्होंने एनसीसी ज्वाइन किया. वो चाहती थीं कि उन्हें पुलिस में नौकरी मिले. लेकिन उनके पिता शौकत अली को यह पसंद नहीं था.


मेहरुन ने बताया कि उनके पिता बेहद धार्मिक ख्याल वाले शख्स हैं और उन्होंने एक गैर-मुस्लिम महिला से शादी की. मेहरुन के माता-पिता की कहानी भी बेहद रोचक है. मेहरुन के पिता शौकत अली कोर्ट की कार्रवाई सुनने जाया करते थे, जहां उनकी मां शशि कला मिश्रा मुंशी का काम किया करती थी और उसी के दौरान दोनों में प्यार हो गया, दोनों ने शादी कर ली. मेहरुन निशा के परिवार में कुल चार भाई और उनके अलावा दो बहनें हैं. उनकी एक और बहन भी बाउंसर का काम करती हैं.


इनका बचपन भी बेहद चौंकाने वाले हालात से होकर गुजरा. जिसकी चर्चा करते हुए मेहरुन निशा बताती है कि उनके पिता घर की लाइट बंद कर दिया करते थे ताकि वे और उनकी बहन पढ़ाई ना कर सके, इतना ही नहीं वे इन्हें घर से बाहर तक कदम नहीं रखने देते थे. रुढ़िवादी ख्यालों वाले इनके पिता का मानना था कि पढ़ने लिखन के बाद ये लड़कियां अपने पसंद के लड़कों के साथ शादी करके भाग जाएंगी. लेकिन इनकी मां ने इनका साथ दिया और मेहरुन को पढ़ने लिखन की आजादी थी.


अपनी बेटी के बारे में बात करते हुए शशि कला कहती हैं कि मेहरुन की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी है, एक वक्त था जब वो सिर्फ यही सोचा करती थी कि एक दिन वह राजस्थानी घर में शादी करेगी और दोनों हाथों में चुड़ियां पहनेगी.