Delhi LG Letter To CM Arvind Kejriwal: दिल्ली में अस्पतालों के निर्माण कार्य में देरी के मुद्दे पर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर जवाब मांगा है. पत्र में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि दिल्ली के अस्पताल प्रोजेक्ट इसी वर्ष पूरे जाने थे लेकिन नहीं हो सके.
उपराज्यपाल सक्सेना ने गुरुवार (22 जून) सीएम केजरीवाल को पत्र लिखा. एलजी ने अपने पत्र में कहा कि न केवल सिरसपुर में नए अस्पताल का निर्माण कार्य तय समय से एक साल पीछे चल रहा है, बल्कि लोक नायक अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, डॉ. बीआर आंबेडकर अस्पताल, राव तुला राम अस्पताल और अरुणा आसफ अली अस्पताल जैसे मौजूदा अस्पतालों में बिस्तरों की बढ़ोतरी में भी तीन साल से अधिक की देरी हुई है.
उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने अपने पत्र में और क्या कहा?
पत्र में कहा गया कि इंदिरा गांधी अस्पताल का काम 2012-13 में शुरू हुआ था, जो 10 साल बीत जाने के बाद भी अब तक पूरा नहीं हुआ है. इसमें कहा गया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा भगवान महावीर अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल और दीप चंद बंधु अस्पताल में काम, जो 2019 में शुरू किया गया था और 2020 तक पूरा होने वाला था, तीन साल बाद भी अटका हुआ है और इनके पूरा होने की कोई निश्चित तारीख नहीं है.
एलजी ने पत्र में कहा कि 17 अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या में बढ़ोतरी और समय पर एक नए अस्पताल के बनने से दिल्ली के लोगों के लिए करीब 12,500 अतिरिक्त बिस्तर उपलब्ध हो जाते.
उपराज्यपाल ने पत्र में कहा, “इनमें से कई अस्पतालों के लिए परियोजनाओं की घोषणा 2014 और 2019 में बहुत धूमधाम से की गई थी, जिनके पूरा होने की अनुमानित तारीखें 2017 से 2020 तक थीं. अगर समय पर ये (योजनाएं) पूरी हो जातीं, तो हजारों दिल्ली वासियों को राहत मिलती जिन्हें कोविड महामारी के दौरान बिस्तरों की अनुपलब्धता का खामियाजा भुगतना पड़ा.”
पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट क्या कहती है?
16 जून को मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, एक पीडब्ल्यूडी रिपोर्ट से पता चला कि नई सुविधाओं और मौजूदा सुविधाओं के विस्तार समेत दिल्ली में कई स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देरी हुई है, कुछ में तीन साल से ज्यादा की देरी हुई है.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि 18 अस्पतालों के निर्माण के साथ-साथ रोहिणी में एक फोरेंसिक प्रयोगशाला के लिए एक अतिरिक्त भवन का निर्माण कई समय सीमाओं को पार कर चुका है. इन अस्पतालों की कुल लागत 3.236 करोड़ रुपये बताई गई.
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