Delhi LG Defends in SC: दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिल्ली रिज में पेड़ काटे जाने के मामले में बचाव किया है. दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए के अध्यक्ष की हैसियत से दाखिल इस हलफनामे में अधिकारियों ने उन्हें जानकारी नहीं दी कि पेड़ काटने से पहले सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी जरूरी है. इसके लिए जिम्मेदार तीन अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है.


इससे पहले 16 अक्टूबर को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने एलजी से पूछा था कि तीन फरवरी को जब वह साइट दौरे पर गए थे, तब उनको जानकारी दी गई कि पेड़ काटने के लिए कोर्ट की इजाजत जरूरी है. अगर उन्हें नहीं बताया गया तो उन्हें कब पता चला कि इजाजत जरूरी थी? अगर उन्हें गुमराह किया गया तो ऐसा कर के पेड़ कटवाने वाले अधिकारियों की पहचान हुई या नहीं? कोर्ट ने यह भी कहा था कि एलजी इन अधिकारियों पर विभागीय और आपराधिक कार्रवाई करें.


पेड़ों की भरपाई के लिए कदम


कोर्ट ने यह भी पूछा था कि कटे पेड़ों की भरपाई के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. इन सब बातों का जवाब देते हुए एलजी ने इस स्थिति के लिए खेद जताया है. उन्होंने बताया कि काटे गए पेड़ों की वास्तविक संख्या 642 है, न कि 1100, जैसा कि याचिका में बताया गया था. इन पेड़ों की जगह पर्याप्त मात्रा में नए पेड़ लगाए जा रहे हैं. एलजी ने माना कि वह तीन फरवरी को वह दक्षिणी रिज के दौरे पर गए थे. वहां सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज हॉस्पिटल (सीएपीएफएमएस) के लिए रोड बनाने की तैयारी थी. उन्होंने काम को तेजी से करने के निर्देश भी दिए, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं बताया कि रिज में पेड़ सुप्रीम कोर्ट की इजाजत से ही कट सकते हैं. 16 फरवरी से पेड़ काटे जाने लगे. उन्हे 21 मार्च को पता चला कि कोर्ट के आदेश से ही पेड़ कट सकते हैं.


सुभाशीष पांडा का बचाव


एलजी ने डीडीए के वाइस चेयरमैन सुभाशीष पांडा का भी बचाव किया है. उन्होंने बताया कि जिस समय पेड़ कटे, पांडा हॉस्पिटल में भर्ती थे. उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं थी. वह 12 मार्च से ड्यूटी पर वापस आए. इसलिए, उन्हें भी अवमानना के मुकदमे से बरी कर दिया जाए.


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