'माय लॉर्ड 16 महीने से जेल में बंद हूं...', जब सिसोदिया ने लगाई गुहार तो सुप्रीम कोर्ट ने ले लिया बड़ा एक्शन
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सिसोदिया की ओर से कोर्ट में कहा गया कि वे 16 महीने से जेल में बंद हैं और जांच काफी धीमी गति से हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा.
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने यह दलील देते हुए जमानत देने का अनुरोध किया है कि वह 16 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा उसी चरण पर है जिस चरण पर पिछले साल अक्टूबर में था.
जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गयी. सिसोदिया ने आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टचार तथा धन शोधन के मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए भी एक याचिका दायर की है.
बेंच में जस्टिस संजय करोल और जस्टिस के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं. बेंच ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करिए, 29 जुलाई तक जवाब दीजिए.’’ सिसोदिया की ओर से पेश वकील विवेक जैन ने बेंच को बताया कि ‘आप’ नेता 16 महीने से हिरासत में हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘माय लॉर्ड मैं (सिसोदिया) 16 महीने से जेल में हूं. मैंने अक्टूबर में कोर्ट का रुख किया था. इस अदालत ने कहा था कि अगर जांच की गति सुस्त रहती है तो मैं पुन: आवेदन कर सकता हूं. मुकदमा उसी चरण पर है जिस पर अक्टूबर 2023 में था जब आपने मुझे छूट दी थी.’’ बेंच ने सिसोदिया की याचिकाओं पर सीबीआई तथा ईडी से जवाब मांगा और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख तय कर दी.
सीबीआई ने शराब नीति मामले में सिसोदिया की कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी 2023 को उन्हें गिरफ्तार किया था. ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी से निकले धन शोधन के मामले में नौ मार्च 2023 को उन्हें गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने पिछले साल 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबद्ध है. इस नीति को अब निरस्त किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार ने इस मामले में सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई से 11 जुलाई को खुद को अलग कर लिया था.
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने बेंच से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और कहा कि दोनों मामलों में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट आठ जुलाई को सिसोदिया की उस नयी याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया था, जिसमें कथित आबकारी नीति घोटाला मामलों में उनकी जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने का अनुरोध किया गया.
याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसियों की ओर से पेश कानून अधिकारी ने बेंच को बताया था कि कथित आबकारी नीति घोटाले के मुख्य मामले और इससे जुड़े धनशोधन मामले में आरोप पत्र और अभियोजन की शिकायत तीन जुलाई, 2024 को या उससे पहले दायर की जाएगी.
कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था लेकिन साथ ही कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार और धनशोधन से जुड़े मामलों में अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाएं फिर से दायर कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने चार जून को कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा था कि ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से जुड़े मामलों में क्रमशः अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाएं फिर से दायर कर सकते हैं. अभियोजन शिकायत ईडी के आरोपपत्र के समान है.