Delhi Excise Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े कथित घोटाले के मामले में आज मंगलवार (27 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है, जिसका असर मामले की सुनवाई पर भी पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है. इस मामले में विपक्षी नेताओं और अन्य लोगों की जांच की जा रही है.


दरअसल, अदालत भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अभियोजन पक्ष ने बीआरएस नेता के. कविता की जमानत याचिका को चुनौती दी थी. जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कविता करीब पांच महीने से हिरासत में हैं और इन मामलों में उनके खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पूरी हो गयी है. 


सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसियों की निष्पक्षता पर उठाए सवाल


पीठ ने कहा, ‘‘इसीलिए इस मामले में जांच के उद्देश्य के लिए अपीलकर्ता (कविता) की हिरासत आवश्यक नहीं है.’’ पीठ ने कहा कि संघीय एजेंसियां ​​केवल पूर्व आरोपी व्यक्तियों के बयानों पर भरोसा नहीं कर सकतीं, जो 'अनुमोदक' बन गए हैं या अभियोजन पक्ष के गवाह बन गए हैं. कोर्ट ने जानना चाहा कि "आपको निष्पक्ष होना होगा. एक व्यक्ति जो खुद को दोषी ठहराता है, उसे गवाह बनाया गया है? आप चुन-चुनकर निर्णय नहीं ले सकते. यह निष्पक्षता क्या है?"


के. कविता के वकील ने क्या कहा?


कविता के खिलाफ बहस करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पूर्व आरोपी बुच्ची बाबू और राघव मगुंटा रेड्डी के "स्वतंत्र साक्ष्य" का हवाला दिया था, जो अब सरकारी गवाह बन चुके हैं. इस पर के. कविता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि इन्हीं व्यक्तियों के दिए गए कई बयानों को संबंधित मामलों में "सबूत" के रूप में पेश किया गया था, खासतौर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संबंधित मामले में, जिन्हें मार्च में गिरफ्तार किया गया था. 


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