नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली परिवहन निगम यानी डीटीसी की बस में सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा में मार्शल तैनात होंगे. दिल्ली सरकार ने एलान किया कि डीटीसी की बसों में कल यानी कि 29 अक्टूबर से 13,000 से ज्यादा मार्शल मौजूद रहेंगे. इनके ऊपर जिम्मेदारी होगी कि बसों में एक ऐसा माहौल बनाया जाए जिससे कि महिलाएं बिना किसी डर और परेशानी के बसों में सफर कर सकें. इसी वजह से मार्शलों की फौज में महिला मार्शल को भी बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है. इसके जरिए कोशिश यही है कि सार्वजनिक परिवहन में सफर करने वाली महिलाओं में एक सुरक्षा की भावना बढ़ाई जा सके.


29 अक्टूबर से बसों में मौजूद रहेंगे मार्शल


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज यानी 28 अक्टूबर को इस बात की घोषणा की कि 29 अक्टूबर से दिल्ली की बसों में मार्शल तैनात रहेंगे जिससे की महिलाओं के सफर को और ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके.


मार्शल के पास सीमित अधिकार


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसको हरी झंडी तो ज़रूर दिखा दी लेकिन इन बसों में जो मार्शल सफर कर रहे हैं या करेंगे अब उनके ज़हन में एक सवाल भी है. सवाल ये कि आखिर यह एक आम नागरिक से अलग कैसे होंगे. क्यों बस में सफर करने वाला एक आम यात्री इनकी बात सुनेगा. क्योंकि इनके पास कोई अधिकार नहीं है. मार्शल का काम होगा कि अगर कोई विवाद हो जाता है तो ये लोग बस 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुला सकते हैं और इस बीच हालात को शांत करने की कोशिश कर सकते हैं.


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महिलाओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया


केजरीवाल सरकार के इस ऐलान पर जब हमने डीटीसी बसों में सफर करने वाली महिलाओं से बात की तो उनका कहना था कि भले ही ये फैसला चुनाव को ध्यान में रख कर क्यों न लिया गया हो लेकिन ये कितना सफल होगा ये इस बात पर निर्भर करेगा कि इसको किस तरह से लागू किया जाता है.


सरकार की आखिरी तिमाही में किया एलान


केजरीवाल सरकार ने बसों में मार्शल तैनात करने का एलान तो जरूर कर दिया. लेकिन यह एलान ऐसे वक्त पर हुआ है जब अगले कुछ महीने के अंदर दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में विपक्ष अभी भी जनता के बीच यही बताने की कोशिश करेगा की केजरीवाल का यह कदम चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया कदम है. अगर यह काम करना ही था तो तब क्यों नहीं किया जब उनकी सरकार सत्ता में आई थी और क्यों उनको यह तब याद आया जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं.


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