Delhi Mayor Election 2022: दिल्ली नगर निगम का मेयर चुनने के लिए सोमवार (6 फरवरी) को बैठक होने जा रही है. महीने भर के भीतर एमसीडी की ये तीसरी बैठक है जिसमें मेयर चुनने की कोशिश की जाएगी. इसके पहले दो बार एमसीडी की बैठक हुई थी लेकिन बीजेपी और आप के बीच हंगामे के चलते चुनाव नहीं हो सका था. दिल्ली नगर निगम का मेयर चुनने की इस रस्साकशी को 10 पॉइंट में समझते हैं.
- मेयर का चुनाव दो बार स्थगित किया जा चुका है. पहली बार 6 जनवरी को राज्यपाल की ओर से मनोनीत 10 सदस्यों को वोट देने पर सवाल उठाए गए थे और दूसरी बार 24 जनवरी को सदन में हंगामे के बाद पीठासीन अधिकारी ने चुनाव रोक दिया था.
- संख्या को देखते हुए आप के मेयर पद जीतने की संभावना है लेकिन स्थायी समिति में उसकी स्थिति निश्चित नहीं है. स्थायी समति को नगर निगम का सबसे शक्तिशाली निकाय माना जाता है.
- 7 दिसंबर को आए एमसीडी के नतीजे में आम आदमी पार्टी 134 सीट जीतकर पहले नंबर पर आई थी. बीजेपी को 104 और कांग्रेस को 9 सीट मिली थी. पिछले 15 साल से एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा है.
- 18 सदस्यों वाली स्थायी समिति में से छह को सोमवार को चुना जाना है, जिसमें आप को तीन और भाजपा को दो सीटें मिलेंगी. छठी सीट पर लड़ाई होनी है. अगर 10 मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति मिलती है तो ये बीजेपी के पास जाने की संभावना है. स्थायी समिति के अन्य 12 सदस्य क्षेत्रीय चुनाव के माध्यम से चुने जाएंगे.
- एमसीडी में 12 जोन हैं. इनमें से 7 जोन में बीजेपी के पास बहुमत है. ऐसे में स्थायी समिति के 7 और सदस्य बीजेपी जीत सकती है. ऐसा होने पर मेयर पद आप के पास आने के बाद भी उसके लिए आगे का सफर मुश्किल भरा होगा.
- अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के 134 पार्षदों और एक निर्दलीय सदस्य ने नगर निकाय के पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा को पत्र लिखकर कहा है कि नियम के मुताबिक मनोनीत पार्षद मतदान नहीं कर सकते हैं. उन्होंने लिखा, "महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के चुनाव से मनोनीत सदस्यों को बाहर रखा जाना चाहिए."
- दिल्ली से भाजपा के सात लोकसभा सांसद, आप के तीन राज्यसभा सदस्य और दिल्ली के स्पीकर द्वारा मनोनीत 14 विधायक भी मतदान कर सकते हैं. कांग्रेस ने कहा है कि वह अनुपस्थित रहेगी. आप का आरोप है कि कांग्रेस ने बीजेपी के साथ पीछे से डील की है.
- आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा राज्य सरकार से परामर्श किए बिना 10 सदस्यों के मनोनीत करने पर आपत्ति जताई थी. पार्टी ने उपराज्यपाल द्वारा सत्य शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने का भी विरोध किया था. आप ने इस पद के लिए एमसीडी के सबसे वरिष्ठ पार्षद मुकेश गोयल की सिफारिश की थी.
- 10 मनोनीत सदस्यों के शपथ ग्रहण और उनके मतदान के सवाल ने दो बार महापौर चुनाव को रोक दिया था. छह जनवरी को हुए पहले चुनाव में आप और भाजपा के सदस्य आपस में भिड़ गए थे, एक-दूसरे के साथ धक्का-मुक्की की थी. सदन में कुर्सियों फेंकी गई थी. 24 जनवरी को दूसरी बैठक में जैसे ही पार्षदों की शपथ पूरी हुई थी फिर हंगामा शुरू हो गया.
- मेयर चुनाव का मामला आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट भी लेकर गई थी. हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था जिसके बाद याचिका वापस ले ली गई.
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