Delhi MCD Anti-Encroachment Drive: दिल्ली दंगों के ठीक बाद जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की जो कार्रवाई दिल्ली एमसीडी ने की थी वह सिर्फ ट्रेलर था. अब दक्षिणी दिल्ली के मेयर मुकेश सूर्यान इन इलाकों में अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने वाले हैं. इसी वजह से कल उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों का निरीक्षण किया था. इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने लोगों को चेताया भी था.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि जिनका अतिक्रमण था अगर कल तक उनका अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो बुल्डोजर की कार्रवाई होगी. लेकिन इन सबके बावजूद आज भी जसोला गांव में तस्वीर वैसी ही है. आज भी सड़कों पर पुराने ढर्रे के आधार पर दुकानें खोली जा रही हैं.
बोले स्थानीय दुकानदार, 'हम नहीं सुधरने वाले'
ऐसे में एबीपी न्यूज ने वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत की है. उन्होंने कहा कि भैया काम तो करना ही है. काम नहीं करेंगे तो जाएंगे कहां. हम तो मजदूर आदमी हैं. काम कर रहें हैं. जब तोड़ेंगे तब देखी जाएगी. हम नहीं सुधरने वाले. अगर ये दुकान टूट गई तो दूसरी जगह देखी जाएगी. अगर यहां तोड़ेंगे तो ऊपर दुकान बना लेंगे.
आपको बता दें कि सड़कों पर सिर्फ दुकानदारों ने ही अतिक्रमण नहीं किया है, बल्कि बगल की 1000 गज के एरिया में डीडीए की जमीन है. लेकिन इस सरकारी जमीन पर कच्चे पक्के मकान बने हुए हैं. इन मकानों में बिजली के मीटर लगे हैं. सरकारी पानी की भी व्यवस्था है.
यानी गैरकानूनी तरीके से रहने वालों को फुल सरकारी सुविधाएं मिल रहीं हैं. कल मुकेश सूर्यान ने इन झुग्गियों को हटाने के लिए कहा था लेकिन एबीपी न्यूज ने यहां के लोगों से बात की तो उनका कहना था कि हम इस जगह पर पिछले कई सालों से बसे हुए हैं.
1964 से रह रहे हैं लोग
वहीं पर एक स्थानीय निवासी यादराम ने कहा कि हम तो बहुत पुराने हैं. 1964 से यहां रह रहें हैं. ये पीपल का पेड़ मैंने लगाया है. सरकार के सामने हम कुछ नहीं कर पाएंगे. सरकार हटाएगी तो चले जाएंगे. इतने साल से रह रहे हैं तो यहां से भगाने का डर तो है ही. वर्दी देवी ने कहा मेरी शादी यहीं इसी जमीन पर हुई थी. यहां सबसे पहले झुग्गी मेरी ही थी. ये जमीन हमारे सामने बिकी है. इस जमीन को डीडीए ने खरीदा है. इससे पहले यहां खेत थे और हमने यहां खेती भी की है.
वहीं फातिमा बेगम ने कहा," हमें 20 साल हो गए. हमारा बच्चा यहां बड़ा हो गया, इतनी साल हो गए हमें यहां रहते हुए. गरीब आदमी कहां जाएंगे. हम बच्चों को कहां से खिलाएंगे. गरीब तो मरेगा ही. अगर बुलडोजर चलेगा तो हम लोग मर जाएंगे. बच्चे को बीमारी है, क्या करें, इलाज कराएं, खाना खाएं की किराया दें.
सरकार कर रही है बेवजह परेशान
सरकार तो बस परेशान कर रही है. पहले यहां पर खेत थे. हम 25 साल से यहां रह रहें हैं. अब पता नहीं कहां जाएंगे. वहीं 11 साल के अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आपको बुलडोजर चलाना है तो चलाईए लेकिन हमारे घरों को तोड़ना है तो ईद के बाद तोड़िए. पहले ईद मनाने दीजिए.