Congress Councilors Comeback: दिल्ली में एमसीडी के नतीजे आने के बाद भी हाई वोल्टेज ड्रामा जारी है. कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में जाने वाले पार्षदों ने चंद घंटों बाद ही घरवापसी कर ली. दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अली मेंहदी अपने साथ दोनों पार्षदों को लेकर वापस आ गए. उन्होंने ऐसा करने के लिए माफी भी मांगी.
कांग्रेस के दिल्ली इकाई के उपाध्यक्ष अली मेहदी शुक्रवार (09 दिसंबर) को अपने साथ पार्षद सबीला बेगम और पार्षद नाजिया खातून को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए थे. इसके साथ ही एमसीडी में आप के पार्षदों की संख्या बढ़कर 136 हो गई थी. इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था. हालांकि चंद घंटों बाद ही उन्होंने घर वापसी कर ली.
क्यों ज्वाइन की थी आम आदमी पार्टी?
अली मेहदी ने कहा कि वह अपने क्षेत्र में विकास चाहते हैं इसलिए आप में शामिल होने का फैसला किया. मेहदी ने कहा कि हमने अरविंद केजरीवाल के विकास कार्यों को देखकर आप में शामिल होने का फैसला किया. हम अपने इलाके में विकास चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मुस्तफाबाद मेरा घर है और पिता दो बार यहां से विधायक रहे. उनके कार्यकाल में हमने अपने वार्ड के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद से मुस्तफाबाद में विकास कार्य की गति धीमी हो गई.
केजरीवाल ने की अपील से हुए प्रभावित!
एमसीडी जीतने के बाद केजरीवाल ने अब साथ मिलकर काम करने की अपील की थी. केजरीवाल ने कहा था कि, 'हमें मिलकर काम करना है. मेरी सभी से अपील है कि राजनीति बस आज तक की थी. अब सभी को मिलकर काम करना है. मैं सभी का सहयोग चाहता हूं. मैं सभी पार्षदों से निवेदन करता हूं कि अब पार्टी के पार्षद नहीं अब आप दिल्ली के पार्षद हैं. अब मिलकर दिल्ली को ठीक करेंगे. आज के बाद मैं सभी पार्टियों से भी सहयोग की अपील करता हूं.'
चंद घंटों में कैसे हुई घर वापसी?
अली मेहदी के आम आदमी पार्टी में जाने पर उनके क्षेत्र के लोगों ने ही विरोध शुरू कर दिया था. क्षेत्र की जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए वे अपनी पुरानी पार्टी मे लौट आए. अली मेहदी ने इस घटना के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी. उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का कार्यकर्ता था, कार्यकर्ता हूं और आगे भी रहूंगा. उन्होंने अपने दोनों पार्षदों को भी वापस कांग्रेस पार्टी में शामिल कराया. बता दें कि एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में कम वोट मिले हैं. विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बड़ी संख्या में मुसलमानों ने कांग्रेस में वापसी की है.