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MCD चुनाव में इस बार कम वोटिंग की क्या है वजह और क्या हो सकते हैं मायने, 5 प्वाइंट्स में समझिए
Delhi MCD पर बीजेपी 15 सालों से काबिज है. बीजेपी के कोर वोटरों में कामकाज को लेकर नाराजगी साफ नजर आई है. वहीं जो लोग बीजेपी को वोट करते आए हैं उन्होंने AAP में भी अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
Delhi MCD Elections 2022: दिल्ली में 250 नगर निगम वार्ड के चुनाव में रविवार को लगभग 50 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. भारतीय जनता पार्टी (BJP), आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस, तीनों ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए हैं. चुनाव परिणामों की घोषणा 7 दिसंबर को होगी. हालांकि, इस बार हैरानी की बात यह रही कि वोटिंग काफी कम हुई है.
2017 के मुकाबले इस बार लगभग 3 प्रतिशत मतदान कम हुआ है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. इससे पहले दिल्ली के निकाय चुनाव में 2017 में 53.55 प्रतिशत, 2012 में 53.39 और 2007 में 43.24 प्रतिशत मतदान हुआ था. चलिए 5 प्वाइंट्स में समझने की कोशिश करते हैं कि वोटिंग क्यों कम हुई है और इससे किसे नुकसान होगा.
- दिल्ली के पॉश इलाकों में इस बार काफी कम मतदान देखा गया और यहां से शिकायतें भी आईं. आमतौर पर ऐसे इलाके बीजेपी का गढ़ माने जाते हैं, लेकिन बात अगर विधानसभा चुनाव की करेंगे तो यहां के लोगों ने भी 'आप' को अच्छा खासा समर्थन दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पॉश इलाकों में कम वोटिंग प्रतिशत का जितना नुकसान बीजेपी को हो रहा है तो क्या उतना ही नुकसान 'आप' को भी हो रहा है?
- दिल्ली नगर निगम पर बीजेपी का 15 सालों से शासन रहा है. साफ है कि उसके कोर वोटरों में कामकाज को लेकर नाराजगी है. जो लोग बीजेपी को वोट करते आए हैं उन्होंने आम आदमी पार्टी में भी अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई है. यही कारण रहा है कि ऐसे वोटर्स ने वोट नहीं किया. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के 8 साल के शासन को लेकर भी लोग बहुत उत्साहित नहीं थे, इसलिए बीजेपी के वोटरों को वह अपनी तरफ खींच नहीं सके.
- टिकट बंटवारा भी कम वोटिंग प्रतिशत का एक मुख्य कारण दिखाई देता है. कई सारे इलाकों में आम आदमी पार्टी के वॉलंटियर और कार्यकर्ता इसलिए भी निष्क्रिय थे, क्योंकि टिकट का बंटवारा ठीक तरीके से नहीं किया गया था. कई सीटों पर बगावत भी देखने को मिली और कई सीटों पर नाराज कार्यकर्ता वोटर्स के बीच चुनाव प्रचार करने ही नहीं गए. मुस्लिम क्षेत्रों में भी आप को लेकर नाराजगी दिखाई दे रही थी. वोटर्स कई धार्मिक मसलों पर आप से नाराज दिखे. यही कारण है कि वे पोलिंग बूथ तक पहुंचे ही नहीं.
- इस बार के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत के कम होने के पीछे एक और बड़ी वजह नजर आ रही है. कई सारी जगहों पर वोटरों के नाम वोटिंग लिस्ट से गायब रहे. कई सारे वार्ड में परिसीमन की वजह से वोटरों को दो या फिर 3 बूथों के चक्कर लगाने पड़े और तब जाकर उन्हें मतदान का मौका मिला. लगभग सभी पार्टियों के नेताओं ने अपने-अपने हजारों वोटरों के आखिरी समय में वोटर लिस्ट से नाम काटने की शिकायत भी दर्ज कराई. उत्तर-पूर्वी दिल्ली और कुछ अन्य इलाकों में कई लोगों ने शिकायत की कि उनके नाम मतदाता सूची से गायब हैं. कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अनिल कुमार उन लोगों में शामिल थे, जो मतदान नहीं कर सके.
- दिल्ली में इस वक्त शादियों का सीजन चल रहा है और वोटिंग प्रतिशत के कम होने के लिए इसे भी एक कारण माना जा रहा है. इस हफ्ते और आने वाले हफ्ते में जबरदस्त साया है. इसकी वजह से लोगों ने आम तौर पर वीकेंड वाले दिन को वोटिंग की बजाय शॉपिंग के लिए चुना. दिल्ली में कई लोग भी रहे, जो शादी-समारोह में शामिल होने के लिए या तो शॉपिंग पर चले गए या फिर दूसरे शहरों में थे. ऐसे में वोटिंग प्रतिशत पर इसका असर साफ नजर आ रहा है.
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