Delhi MCD Elections: दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार पिछले नगर निगम चुनाव के मुकाबले स्वतंत्र उम्मीदवारों (Independent Candidates) की संख्या कम है. वहीं, कई वार्डस पर बड़ी पार्टियों से टिकट न मिलने के कारण बागियों का झंडा बुलंद होता नज़र आ रहा है. 


मोती नगर के रमेश पार्क वार्ड नंबर 91 से बीजेपी से नाराज़ बागी हुए उम्मीदवार राजकुमार खुराना (Rajkumar Khurana) का दिलचस्प प्रचार न सिर्फ बीजेपी (BJP) के लिए बल्कि आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) के उम्मीदवार के लिए चिंता का विषय बन गया है. स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी ताल ठोक रहे खुराना का चुनाव चिन्ह बांसुरी हैं. यही वजह है कि वो बांसुरी बजाकर लोगों से वोट अपील कर रहे हैं. आलम ये है कि इस चुनाव में वो बांसुरी वाला कैंडिडेट के नाम से खूब चर्चाओं में भी रहे हैं. 


2017 में बीजेपी ने काटा था राजकुमार खुराना का टिकट


चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राजकुमार खुराना ने बांसुरी बजाकर बड़ी यात्रा निकाली है. राजकुमार खुराना एकीकृत एमसीडी में साल 2007 में बीजेपी के पार्षद रह चुके हैं. बीजेपी के करोल बाग जिला के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि, साला 2017 में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था. इस बार भी बीजेपी ने वार्ड नंबर 91 रमेश पार्क से सीएम केजरीवाल के घर हमला करने वाले प्रदीप तिवारी को टिकट दिया है. यहीं वजह थी कि खुराना को बागी बनना पड़ा लेकिन जीत के बाद किस पार्टी में शामिल होंगे इस पर वो बचते नज़र आए.


बागी विकास गोयल स्वतंत्र उम्मीदवार


आम आदमी पार्टी में भी नाराज़ बागी उम्मीदवार कम नहीं हैं. रिठाला विधानसभा से बुध विहार वार्ड नंबर 25 से विकास गोयल ऐसा ही एक नाम है. विकास गोयल टिकट न मिलने से नाराज़ हुए और बागी बन गए. विकास गोयल टीवी के चुनाव चिन्ह पर स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. दिलचस्प बात ये भी है कि ये स्वतंत्र उम्मीदवार जीत दर्ज करें या न करें लेकिन बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के वोटबैंक में सेंध जरूर लगा देते हैं. जिस स्वतंत्र उम्मीदवार का इलाके में अच्छा रसूख होता है वो चुनाव हराने में जरूरी कारगर भूमिका निभा लेता है.


382 स्वतंत्र उम्मीदवार चुनावी मैदान में


इस बार एमसीडी चुनावों में 382 स्वतंत्र उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इनमें ज्यादातर बड़ी पार्टियों के बागी उम्मीदवार शामिल हैं. ये वो नेता हैं जो टिकट न मिलने से बड़ी पार्टियों से नाराज़ हुए और बागी बन गए. साल 2017 में 16 वार्डस पर ऐसे ही बागी बड़ी पार्टियों को पछाड़कर चुनाव जीते थे. एक आंकलन के मुताबिक़ दिल्ली नगर निगम चुनाव में 60 वार्ड ऐसे हैं जहां बागी और वोट काटने वाले प्रत्याशी बड़े राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की नाक में दम कर सकते हैं. इस बार सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने अपने पुराने पार्षदों और कार्यकर्ताओं के टिकट काटे हैं जिसके बाद हर पार्टी में बग़ावत के सुर सुनाई दिये है. इन बागी चेहरों की ये बग़ावत चुनाव में किसका खेल बनाएंगे और किसका बिगाडेंगे ये नतीजों के बाद साफ़ हो जायेगा. 


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