Delhi Public Transport: वायु प्रदूषण के गंभीर हालातों के बीच सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के मद्देनजर दिल्ली सरकार 1000 निजी बसें किराये पर ले रही है. इसके साथ ही, केजरीवाल सरकार ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) से शहर में मेट्रो और बसों में यात्रियों के खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति मांगी है. गौरतलब है कि वर्तमान में कोविड-19 की रोकथाम के चलते मेट्रो और बसों को अपनी बैठने की 100 फीसदी क्षमता के साथ संचालन की अनुमति है लेकिन यात्रियों को खड़े होकर यात्रा की अनुमति नहीं है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परिवहन विभाग ने DDMA से बसों में यात्रियों को खड़े होकर भी यात्रा करने की अनुमति मांगी है. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने शहर में 1000 निजी बसे किराये पर लेने की घोषणा करते हुए ट्विटर पर लोगों से सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'वाहनों से होने वाले प्रदूषण को काबू करने के मद्देनजर दिल्लीवासियों से अनुरोध है कि वे निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें.'
वहीं, भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 11000 से ज़्यादा बसों की जरूरत बताई थी लेकिन RTI के अनुसार दिल्ली में DTC की 3760 और क्लस्टर की 1698 बस हैं, कुल मिलाकर दिल्ली में सिर्फ 5458 बसें चल रही हैं. लोग इस वज़ह से दो व चार पहिया वाहन चलाने पर मजबूर हैं, जिस कारण दिल्ली में प्रदूषण चरम पर है."
आदेश गुप्ता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने वादे के मुताबिक, दिल्ली को विश्व स्तरीय शहर बनाने के बजाय 'धुंध से भरा शहर' बना दिया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा, 'अगर केजरीवाल जिम्मेदारी नहीं उठा पा रहे हैं तो उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए.' गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण केजरीवाल सरकार की सबसे बड़ी विफलता है.
एक ट्वीट में आदेश गुप्ता ने लिखा, "अरविंद केजरीवाल का प्रदूषण दूर करने का मॉडल! पराली का घोल 40,000 रुपये में खरीदा, उसका छिड़काव 22,84,000 रुपये में किया, उसके प्रचार पर 15,80,36,828 रुपये खर्च किये. इसी प्रचार मॉडल की धज्जियां कल सुप्रीम कोर्ट ने उड़ाई!"
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