नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो के गैर कार्यकारी कर्मचारियों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने पर 30 जून से हड़ताल पर जाने की धमकी दी है. इससे शहर में मेट्रो सेवा बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है. मेट्रो में तकरीबन 12,000 कर्मचारी हैं जिनमें 9,000 गैर कार्यकारी स्टाफ है.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के कुछ गैर कार्यकारी स्टाफ 19 जून से यमुना बैंक और शाहदरा स्टेशन समेत कुछ स्टेशनों पर अपनी आठ सूत्री मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं. डीएमआरसी स्टाफ परिषद ने सभी सदस्यों से आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था, लेकिन सभी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया.
गैर कार्यकारी कर्मचारियों में ट्रेन संचालक, स्टेशन नियंत्रक, संचालन और रखरखाव स्टाफ और तकनीशियनों के साथ ही संचालन से जुड़े अन्य कर्मचारी शामिल होते हैं. परिषद के कुछ सदस्य वेतनमान में संशोधन, डीएमआरसी स्टाफ परिषद को कर्मचारी यूनियन में बदलने, किसी कर्मचारी को निष्कासित करने के लिए उचित दिशा - निर्देश समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
परिषद ने कहा कि मांगों को दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भेज दिया गया है. परिषद के सचिव रवि भारद्वाज ने कहा, ‘‘ हमारी पहली मांग डीएमआरसी स्टाफ परिषद को डीएमआरसी कर्मचारी यूनियन में बदलने की है, क्योंकि परिषद संवैधानिक निकाय नहीं है. ’
उन्होंने कहा कि हमारी अन्य मांगों में तीसरे वेतन संशोधन मान के मुताबिक औद्योगिक महंगाई भत्ता (आईडीए) को लागू करना है. इसके अलावा भी अन्य मांगे हैं. डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संपर्क करने पर कहा, ‘‘अगर किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जाता है तो सेवाओं के ठप पड़ने का अंदेशा है, लेकिन समाधान पर पहुंचने को लेकर आशान्वित हैं.’’
भारद्वाज ने कहा कि कर्मचारियों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध किया, सांकेतिक भूख हड़ताल की जिसमें हमारे सदस्यों ने ड्यूटी पर रहने के दौरान कुछ खाया नहीं और प्लेटफॉर्म पर बैठकर प्रदर्शन किया.
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर 29 जून तक हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम पूरी तरह से भूख हड़ताल पर चले जाएंगे और उसी हालत में काम करेंगे और चालक उसी स्थिति में ट्रेन चलाएंगे. अगर हमारे सदस्यों या यात्रियों को कुछ होता है तो इसके लिए डीएमआरसी जिम्मेदार होगा.