दिल्ली में कल ठप रह सकती है मेट्रो, मांग नहीं माने जाने से नाराज 9000 कर्मचारियों की हड़ताल
Delhi Metro staff Strike: हड़ताल पर जाने वाले इन 9000 कर्मचारियों में मेट्रो चलाने वाले 900 ट्रेन ऑपरेटर, 1000 स्टेशन कंट्रोलर/ स्टेशन इंचार्ज, 5000 मेन्टेनेंस टेकनीशियन और करीब 2000 सपरवाइज़र शामिल हैं.
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मेट्रो से सफर करने वाले बीस लाख लोगों के लिए अगले कुछ दिन मुश्किल भरे हो सकते हैं. लेबर कमिश्नर के साथ बातचीत फेल होने के बाद दिल्ली मेट्रो के 9000 कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. कर्माचारियों के हड़ताल के फैसले पर मेट्रो का संचालन करने वाली संस्था डीएमआरसी का अभी तक कोई बयान नहीं आया है. लेबर कमिश्नर से पहले डीएमआरसी से भी मेट्रो कर्माचारियों की बातचीत विफल रही थी.
हड़ताल पर कौन कौन से कर्मचारी? हड़ताल पर जाने वाले इन 9000 कर्मचारियों में मेट्रो चलाने वाले 900 ट्रेन ऑपरेटर, 1000 स्टेशन कंट्रोलर/ स्टेशन इंचार्ज, 5000 मेन्टेनेंस टेकनीशियन और करीब 2000 सपरवाइज़र शामिल हैं.
अचानक नहीं लिया फैसला: मेट्रो कर्मचारी मेट्रो कर्मचारियों का आरोप है कि मेट्रो का परिचालन बंद करने का ये फैसला अचानक नहीं लिया गया बल्कि मांग पूरा करने को लेकर किया जा रहा ये प्रदर्शन 19 जून से ही जारी है इसके तहत पहले हाथ पर काली पट्टी बांधकर काम पर आए उसके बाद 25 जून से सांकेतिक भूख हड़ताल पर बैठे लेकिन इस सबके बावजूद इनकी बात नहीं सुनी जा रही. कर्मचारियों की इस हड़ताल को देखते हुए दिल्ली की बाराखंबा रोड पर बने मेट्रो भवन की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है.
हड़ताल करने वाले कर्मचारियों की क्या मांगें है?
- यूनियन को मान्यता दी जाए क्योंकि अभी तक 9 सदस्यों वाली कॉउंसिल को मैनेजमेंट ने मान्यता दी हुई है जो कि किसी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं है जबकि कर्मचारी यूनियन को मान्यता नहीं दी हुई है जबकि वो एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है.
- बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली की मांग.
- 23 जुलाई 2017 को हुए समझौते को सही रूप से लागू किया जाना चाहिए जिसमें पे स्केल को अपग्रेड करने को लेकर बात कही गई थी.
- इसके अलावा 7वें वेतन आयोग की सिफ़ारिश को लागू करवाने की मांग
- कर्मचारियों का कार्य क्षेत्र निर्धारित करने जैसी मांगें शामिल हैं.
हड़ताल का सीधा असर दिल्ली की सड़कों पर दिखेगा दिल्ली मेट्रो से रोजाना करीब 20 लाख यात्री सफर करते है, मेट्रो परिचालन बंद होने के बाद ये सभी सड़कों पर आ जाएंगे जिससे परिवहन व्यवस्था बदतर हो सकती है. इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के लिए दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था और निजी कैब से भी इसकी आपूर्ति हो पाना मुश्किल है.