दिल्ली: मानव विकास मंत्रालय ने जेएनयू वीसी से की बात, स्टूडेंट्स से बातकर सामान्य बनाएं परिसर के हालात
पुलिस के मुताबिक 5 जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में पुलिस के पास अभी तक कुल 11 शिकायतें आई है, 3 शिकायतें abvp की हैं, जबकि 7 वामपंथी छात्रों ने की हैं और 1 प्रोफेसर सुचित्रा सेन की है. सभी की सभी शिकायतें क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की जा रही हैं.
नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति से मुलाकात की और छात्रों से अधिक संवाद करने एवं जेएनयू परिसर में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का सुझाव दिया. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कुलपति से कहा है कि जेएनयू अग्रणी यूनिवर्सिटी है और उसे वैसे ही बनाए रखा जाना चाहिए.
मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से छात्रों के साथ अधिक संवाद बनाने, संकाय को विश्वास में लेने की बात कही. इससे पहले, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को जेएनयू के कुलपति से मुलाकात की और यूनिवर्सिटी परिसर में हालात सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों का जायजा लिया. इस बीच सरकार के सूत्रों ने दावा किया है कि पुलिस को जेएनयू में छात्रों पर हमला करने वाले नकाबपोश लोगों की पहचान के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, पुलिस मामला सुलझाने के कगार पर है.
पुलिस को 11 शिकायतें मिली है. पुलिस ने बताया कि रविवार को नकाबपोश युवकों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में की गयी मारपीट और हमले के बाद बड़ी तादाद में पुलिस बलों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि पांच जनवरी को विवि परिसर में हुए हमले को देखते हुए पुलिस को 11 शिकायतें मिली हैं. इनमें से एक शिकायत विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक ने दर्ज करायी है जबकि शेष छात्रों की ओर से आयी है.
पुलिस ने बताया कि इन सभी मामलों को क्राइम ब्रांच के हवाले किया जाएगा. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम) देवेंदर आर्य ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है. उन्होंने कहा, ‘‘विवि प्रशासन के आग्रह पर, परिसर में पुलिस की मौजूदगी जारी रहेगी .’’ पांच जनवरी को दर्जनों की संख्या में नकाबपोश लोगों ने छात्रों और प्रोफेसर पर लाठी-डंडे से हमला कर दिया था. जिसमें कम से कम 20 लोग जख्मी हो गए. जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष भी बुरी तरह जख्मी हो गईं. इस घटना की राजनीतिक दलों, फिल्म इंडस्ट्री और आम लोगों ने कड़ी निंदा की.
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