नई दिल्ली: दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को नोटिस भेजकर पूछा है कि हिजाब पहनी एक छात्रा को यूजीसी नेट परीक्षा में बैठने की इजाजत क्यों नहीं दी गई. जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा उमाय्या खान ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि हिजाब पहने होने की वजह से उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने दावा किया था कि जब वह रोहिणी में परीक्षा केंद्र पहुंची तो उनसे हिजाब उतारने के लिए कहा गया.
घटना के बाद, आयोग ने यूजीसी के सचिव को नोटिस भेजकर कहा, ''यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का स्पष्ट मामला है और इसे राष्ट्रीय मुख्यधारा से दूर रखने की एक कोशिश है.'' आयोग ने कहा, ''इसका कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है. केरल हाईकोर्ट हिजाब (सर पर स्कार्फ और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनी) मुस्लिम महिलाओं को परीक्षा देने की इजाजत दे चुका है.''
हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश जारी करके कहा था कि मुस्लिम और सिख महिलाओं के धार्मिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए. आयोग के एक अधिकारी ने बताया, ''दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने यूजीसी के सचिव से पूछा है कि क्यों भेदभाव होने दिया गया और हिजाब पहनी मुस्लिम महिला को नेट परीक्षा देने से रोककर की गई नाइंसाफी को वे कैसे ठीक करेंगे. साथ ही भविष्य में इस तरह की नाइंसाफी का दोहराव रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.''
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इसी तरह की घटना गोवा में भी सामने आई है, जहां 24 साल की युवती ने आरोप लगाया है कि हिजाब उतारने से मना करने पर नेट की परीक्षा करा रहे अधिकारियों ने उन्हें इम्तिहान देने की इजाजत नहीं दी.
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