मुंडका अग्निकांड में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने बिल्डिंग के मालिक मनीष लाकड़ा को गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली के मुंडका इलाके में एक कमर्शियल इमारत में शुक्रवार शाम को आग लगी थी, जिसमें 27 लोग मारे गए थे. पुलिस की एफआईआर में कहा गया कि इमारत की दूसरी मंजिल पर एक मीटिंग चल रही थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शिरकत कर रहे थे कि तभी भीषण आग लग गई और लोग इसमें फंस गए. बिल्डिंग में कोई इमरजेंसी एग्जिट गेट भी नहीं था.


पुलिस ने मालिकाना हक रखने वाले मनीष लाकड़ा, उसकी मां और पत्नी के अलावा किराए पर प्रॉपर्टी लेने वाले दोनों भाइयों हरीश और वरुण गोयल के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एफआईआर के मुताबिक गोयल बंधुओं ने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा था. पुलिस इन दोनों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. मोटिवेशनल प्रोग्राम होने की वजह से घटना के समय अधिकतर कर्मचारी दूसरी मंजिल पर मौजूद थे.


एसएचओ खुद बने हैं शिकायतकर्ता


मुंडका थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर गुलशन नागपाल की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें लिखा है कि शनिवार शाम पौने पांच बजे पीसीआर कॉल के जरिए इस घटना की सूचना पुलिस को मिली. थाने का स्टाफ मेन रोहतक रोड स्थित प्लॉट नंबर 193 पर बनी एक बिल्डिंग के पास पहुंचा, जहां पहले से लोग नीचे जमा थे. मेन रोड की तरफ शीशे की खिड़की तोड़कर कुछ लोग नीचे उतर चुके थे. इसके बाद मौके पर दमकल कर्मी, एनडीआरएफ स्टाफ और अन्य एजेंसियों को भी बुलाया गया.


एफआईआर के अनुसार जिस बिल्डिंग में आग लगी, वो पांच सौ स्क्वेयर यार्ड में बनी हुई है, जिसमें बेसमेंट से लेकर चार मंजिल तक का निर्माण है. इसके ऊपर आधे हिस्से में रिहायशी फ्लैट बना हुआ है. बिल्डिंग का मालिक मनीष लाकड़ा है, जिसके पिता बलजीत लाकड़ा की मौत हो चुकी है. इस बिल्डिंग में बेसमेंट बना हुआ है. ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें हैं. जबकि पहली से तीसरी मंजिल तक कॉफे इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का ऑफिस है. इसमें सीसीटीवी कैमरे, सिम, राउटर पार्ट्स की असेम्बलिंग इंपोर्ट करके ट्रेडिंग की जाती है. कंपनी के मालिक पीतमपुरा निवासी हरीश गोयल और उसका भाई वरुण गोयल हैं. इनके पीता का नाम अमरनाथ गोयल हैं.


इस कंपनी में लगभग 100 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें 50 महिलाएं हैं. शुक्रवार को इस ऑफिस में मोटिवेशनल प्रोग्राम होने के कारण सभी कर्मचारी दूसरी मंजिल पर मौजूद थे. आग लगने के बाद अंदर फंसे कुछ लोग फ्रंट साइड पर शीशे तोड़कर मेन रोड की तरफ से कूदकर बाहर निकले. आग के कारण काफी लोग बिल्डिंग में ही फंसे रह गए. बिल्डिंग में आने जाने का केवल एक ही रास्ता था. वह भी गली की तरफ है.


आग बुझाने के बाद एफएसएल और दमकलकर्मी दूसरी मंजिल पर पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में शव मिले. यहां से कुल 27 शवों को निकाल एसएचएम हॉस्पिटल की मॉर्चरी में भिजवाया गया. वहीं, इस हादसे में घायल हुए लोगों में सतीश कुमार, प्रदीप कुमार, आशु, संध्या, धनवंती, बिमला, हरजीत, आयशा, नितिन, ममता देवी, अविनाश और एक अज्ञात शामिल हैं. ये सभी दिल्ली के अलग अलग इलाकों के रहने वाले हैं. हॉस्पिटल से कुल 39 लोगों की एमएलसी हुई थी, जिनमें घायल और मृत दोनों ही शामिल हैं.


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