Mundka Fire | मुंडका अग्निकांड: अपनों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे परिजन, DNA टेस्ट से होगी शिनाख्त
Delhi Mundka Fire: मुंडका की फैक्ट्री से अब तक 100 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है, वहीं मृतकों में ज्यादातर की पहचान अब तक नहीं हो पाई है.
Delhi Mundka Fire: मुंडका की एक फैक्ट्री में भीषण आग लगने की घटना सामने आई, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई. वहीं कई लोग अब तक लापता हैं. सभी शवों को दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल लाया गया, जहां उनके परिजन शाम से ही इंतजार कर रहे थे. अब तक 100 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है, वहीं मृतकों में ज्यादातर की पहचान अब तक नहीं हो पाई है.
डीएनए से पहचान करने की कोशिश
20 साल की सोनम का परिवार उनके इंतजार में और उनके जिंदा होने की आस में अस्पताल के कैंपस में कल रात से बैठा है. लेकिन सोनम का कोई अता पता नहीं है. परिवार को शिनाख्त के लिए बुलाया गया, लेकिन जले हुए शवों को पहचाना नहीं जा सका. परिवार अब डीएनए से पहचान करेगा. DNA के लिए करीब 70 सैंपल अस्पताल प्रशासन की तरफ से लिए जाएंगे.
सोनम की मां सुनीता देवी एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहती हैं कि सुबह 7 बजे से वो अस्पताल में हैं, सोनम पिछले एक साल से इस कैमरा, एलईडी, वाईफाई बनाने वाली फैक्ट्री में काम कर रही थी और उन्होंने सोनम को एक दिन पहले ही ऑफिस के लिए सुबह तैयार कर के भेजा था. रोती बिलखती मां के आंसू हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे और वो नम आखों से पूछती हैं कि " अब सोनम को कैसे देखूं ? कंपनी वाले उसका फोन नीचे ही जमा करा लेते थे. चारों तरफ से बिल्डिंग में शीशा था. किसी ने शीशा भी नहीं तोड़ा. सही समय पर जानकारी मिलती तो बच्ची को बचा सकते थे. इनको सजा मिलनी चाहिए! क्रेन जब आई है तब शीशे तोड़े गए हैं."
सोनम के भाई प्रिंस कहते हैं कि वो बीती शाम हादसे के वक्त 5 बजे मुंडका गए तो देखा वहां आग लगी थी, लेकिन रात 1 बजे तक आग नहीं बुझ पाई. सोनम तीसरी मंजिल पर थी. उसके सारे दोस्त पहुंच गए, वो नहीं पहुंच पाई. ये नहीं पता चला कि वो कहां फंस गई, लेकिन उसके दोस्तों ने बताया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट था. चाची नीलम बताती हैं कि डेढ़ सौ लोग अंदर थे जहां मीटिंग हो रही थी, गेट बंद था. गेट खुला होता तो बच्चे बच जाते. हमने रात से 4-5 अस्पताल के चक्कर काटे, हमारी सोनम का कुछ नहीं पता चला.
सूचना के लिए इधर-उधर भटक रहे परिजन
सोनम के परिवार की तरह तमाम परिजन अपने लोगों को ढूंढने या उनसे संबंधित सूचना के मिलने के इंतजार में घंटों अस्पताल में बैठे रहे. अपनी भाभी को ढूंढ रहे राहुल बताते हैं कि प्रशासन की तरफ से जारी इन हेल्पलाइन नंबर पर कई बार कॉल किया लेकिन कोई सूचना नहीं मिल रही है. उन्हें कॉल करने की कोशिश की, लेकिन कल शाम से फोन बंद आ रहा था. क्या हुआ है ये तो बताया जाए. वो हैं या नही हैं जानकारी तो दें! उनके तीन छोटे बच्चे हैं.
मृतकों और घायलों को संजय गांधी अस्पताल लाया गया जहां कई परिजन रात से तो कोई सुबह से किसी अपने की जानकारी के लिए अब तक जूझ रहे हैं. सविता बताती हैं कि "मेरी भांजी भी उस फैक्ट्री में थी, उसकी उम्र 36 साल थी. मुझे कोई जानकारी तक नहीं है कि उसके साथ क्या हुआ."
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